"महाभारत भीष्म पर्व अध्याय 113 श्लोक 1-24": अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
No edit summary
No edit summary
 
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के ३ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १०: पंक्ति १०:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{महाभारत}}
{{सम्पूर्ण महाभारत}}
[[Category:कृष्ण कोश]] [[Category:महाभारत]][[Category:महाभारत भीष्मपर्व]]
[[Category:कृष्ण कोश]] [[Category:महाभारत]][[Category:महाभारत भीष्म पर्व]]
__INDEX__
__INDEX__

०५:४८, २८ जुलाई २०१५ के समय का अवतरण

त्रयोदशाधिकशततम (113) अध्‍याय: भीष्म पर्व (भीष्‍मवध पर्व)

महाभारत: भीष्म पर्व: त्रयोदशाधिकशततम अध्याय: श्लोक 1-24 का हिन्दी अनुवाद

कौरवपक्ष के दस प्रमुख महारथियों के साथ अकेले घोरयुद्ध करते हुए भीमसेन का अद्भुत पराक्रम

संजय कहते हैं- राजन ! भगदत, कृपाचार्य, शल्य, कृतवर्मा, अवन्ती के राजकुमार विन्द और अनुविन्द, सिन्धुराज जयद्रथ, चित्रसेन, विकर्ण तथा दुमर्षण- ये दस योद्धा भीमसेन के साथ युद्ध कर रहे थे। नरेश्वर ! इनके साथ अनेक देशों से आयी हुई विशाल सेना मौजूद थी। ये समरभूमि भीष्म के महान यश की रक्षा करना चाहते थे। शल्‍यने नौ बाणों से भीमसेन को गहरी चोट पहूँचायी । फिर कृतवर्मा ने तीन और कृपाचार्य उन्हें नौ बाण मारे। आर्य ! फिर लगे हाथ चित्रसेन, विकर्ण और भगदत्त ने भी दस-दस बाण मारकर भीमसेन को घायल कर दिया। फिर सिन्धुराज जयद्रथ ने तीन, अवन्ती के बिन्द और अनुबिन्द ने पांच-पांच तथा दुर्मर्षण ने बीस तीखे बाणों द्वारा पाण्डुनन्दन भीमसेन को चोट पहुंचायी। महाराज! तब शत्रुवीरों का नाश करने वाले पाण्डु कुमार वीर भीमसेन ने सम्पूर्ण जगत के उन समस्त राजाओं, प्रमुख वीरों तथा आपके महारथी पुत्रों को पृथक-पृथक बाण मारकर समरागण में घायल कर दिया। भारत! भीमसेन ने शल्य को सात और कृतवर्मा को आठ बाणों से बींध डाला। फिर कृपाचार्य के बाण सहित धनुरूष को बीच से ही काट दिया। धनुष कट जाने पर उन्होंने पुनः सात बाणों से कृपाचार्य को घायल किया। फिर बिन्द और अनुविन्द को तीन-तीन बाण मारे। तत्पश्चात् दुर्मर्षण को बीस, चित्रसेन को पांच, विकर्ण को दस तथा जयद्रथ को पांच बाणों से बींधकर भीमसेन ने बड़े हर्ष के साथ सिंहनाद किया और जयद्रथ को पुनः तीन बाणों से बींध डाला। जैसे महान गजराज अंकुशों से पीड़ित होने पर चिंघाड़ उठता है, उसी प्रकार उन दस बाणों से घायल होने पर शूरवीर भीमसेन ने युद्ध के मुहाने पर सिंह के समान गर्जना की। महाराज! तदनन्तर क्रोध में भरे हुए प्रतापी भीमसेन ने रणक्षेत्र में कृपाचार्य को अनेक बाणों द्वारा घायल किया। इसके बाद प्रलयकालीन यमराज के समान तेजस्वी भीमसेन ने तीन बाणोंद्वारा सिन्धुराज जयद्रथ के घोड़ों तथा सारथी को यमलोक भेज दिया। तब उस अश्वहीन रथ से तुरन्त ही कूदकर महारथी जयद्रथ ने युद्धस्थल में भीमसेन के ऊपर बहुत-से तीखे बाण चलाये। माननीय भरतश्रेष्ठ! उस समय भीमसेन दो भल्ल मारकर महामना सिन्धुराज के धनुष को बीच से ही काट दिया। राजन! धनुष के कटने तथा घोड़ों और सारथि के मारे जाने पर रथहीन हुआ जयद्रथ तुरंत ही चित्रसेन के रथ पर जा बैठा। आर्य! वहां पाण्डुनन्दन भीमसेन ने रणक्षेत्र में यह अदभुत् कर्म किया कि सब महारथियों को बाणों से घायल करके रोक दिया और सब लोगों के देखते-देखते सिन्धुराज को रथहीन कर दिया। उस समय राजा शल्य भीमसेन के उस पराक्रम को न सह सके। उन्होंने लोहार के मांजे हुए पैने बाणों का संधान करके समरभूमि में भीमसेन को बींध डाला और कहा - ‘खड़ा रह, खड़ा रह’। तत्पश्चात् कृपाचार्य, कृतवर्मा, पराक्रमी भगदत, अवन्ती के विन्द और अनुविन्द, चित्रसेन,दुर्मर्षण, विकर्ण और पराक्रमी सिन्धुराज जयद्रथ शत्रुओं का दमन करने वाले इन वीरों ने राजा शल्य की रक्षा के लिये भीमसेन को तुरंत ही घायल कर दिया। फिर भीमसेन भी उन सबको पांच-पांच बाणों से घायल करके तुरंत ही बदला लिया। इसके बाद उन्होंने शल्य को पहले सत्तर और फिर दस बाणों से बींध डाला।


« पीछे आगे »

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

साँचा:सम्पूर्ण महाभारत अभी निर्माणाधीन है।