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ऊदल कालिंजर और महोबा के चंदेल राजकुल में राजा परमर्दिदेव की संरक्षा में बड़े भाई आल्हा के साथ बड़ा हुआ था। बाद में दरबारी षड्यंत्र के शिकार बन, राजा से रुष्ट होकर, दोनों भाई गहड़वाल राजा जयंचंद के दरबार में कन्नौज चले गए। कुछ दिनों बाद जब दिल्ली के चौहान राजा पृथ्वीराज ने चंदेलों पर चढ़ाई की तब ऊदल स्वदेशप्रेम से आकृष्ट होकर महोबा पहुँचा और युद्ध में विकट मार करता स्वयं मारा गया। उसकी और उसके भाई आल्हा की वीरता की बड़ी विशद और वीरतापूर्ण कहानी जगनिक ने अपने 'आल्हा' महाकाव्य में लिखी है। यह सही है कि यह महाकाव्य अपने उपलब्ध रूप में प्रामाणिक नहीं है और उसमें प्रक्षिप्त अंश लगातार जुड़ते आए हैं, फिर भी ऊदल की मूल शोर्य व्यंजित कथा में कोई संदेह नहीं<ref>(द्रं.'आल्हा')</ref>
'''ऊदल''' कालिंजर और महोबा के चंदेल राजकुल में राजा परमर्दिदेव की संरक्षा में बड़े भाई आल्हा के साथ बड़ा हुआ था। बाद में दरबारी षड्यंत्र के शिकार बन, राजा से रुष्ट होकर, दोनों भाई गहड़वाल राजा जयंचंद के दरबार में कन्नौज चले गए। कुछ दिनों बाद जब दिल्ली के चौहान राजा पृथ्वीराज ने चंदेलों पर चढ़ाई की तब ऊदल स्वदेशप्रेम से आकृष्ट होकर महोबा पहुँचा और युद्ध में विकट मार करता स्वयं मारा गया। उसकी और उसके भाई आल्हा की वीरता की बड़ी विशद और वीरतापूर्ण कहानी जगनिक ने अपने 'आल्हा' महाकाव्य में लिखी है। यह सही है कि यह महाकाव्य अपने उपलब्ध रूप में प्रामाणिक नहीं है और उसमें प्रक्षिप्त अंश लगातार जुड़ते आए हैं, फिर भी ऊदल की मूल शोर्य व्यंजित कथा में कोई संदेह नहीं<ref>(द्रं.'आल्हा')</ref>





१०:१६, २ फ़रवरी २०१७ के समय का अवतरण

लेख सूचना
ऊदल
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 183
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक नामवर सिंह

ऊदल कालिंजर और महोबा के चंदेल राजकुल में राजा परमर्दिदेव की संरक्षा में बड़े भाई आल्हा के साथ बड़ा हुआ था। बाद में दरबारी षड्यंत्र के शिकार बन, राजा से रुष्ट होकर, दोनों भाई गहड़वाल राजा जयंचंद के दरबार में कन्नौज चले गए। कुछ दिनों बाद जब दिल्ली के चौहान राजा पृथ्वीराज ने चंदेलों पर चढ़ाई की तब ऊदल स्वदेशप्रेम से आकृष्ट होकर महोबा पहुँचा और युद्ध में विकट मार करता स्वयं मारा गया। उसकी और उसके भाई आल्हा की वीरता की बड़ी विशद और वीरतापूर्ण कहानी जगनिक ने अपने 'आल्हा' महाकाव्य में लिखी है। यह सही है कि यह महाकाव्य अपने उपलब्ध रूप में प्रामाणिक नहीं है और उसमें प्रक्षिप्त अंश लगातार जुड़ते आए हैं, फिर भी ऊदल की मूल शोर्य व्यंजित कथा में कोई संदेह नहीं[१]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (द्रं.'आल्हा')