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− | '''खफ़्रे''' राचीन मिस्र देश के चतुर्थ राजवंश का दूसरा फराउन और गीजा स्थित महान पिरामिड नं. 2 का निर्माता। महान पिरामिड नं. 1 का निर्माता सुप्रसिद्ध फराऊ न खुफू उसका बड़ा भाई था जिसका उत्तराधिकार उसे प्राप्त हुआ था। भाई के बाद मिस्र का राजदंड धारण कर उसने देश का शासन खुफू की ही देवविरोधी नीति से किया। उसके बाद उसके भतीजे, खुफू के पुत्र मनकोरा को राजगद्दी मिली। उसने शासन की नीति बदल दी, प्राचीन देवताओं के पूजन को पूर्वप्रतिष्ठा प्रदान की, मंदिरों के द्वार खोल दिए और उनकी जब्त देवोत्तर संपत्ति उन्हें लौटा दी। उसके बनवाए सोपानबद्ध पिरामिड की गणना भी गीजा के महान् पिरामिडों में की जाती है। खफ्रे और मनकोरा खुफू के बाद ई. पू. चतुर्थ-तृतीय सहस्राब्दी में किसी समय हुए थे। | + | '''खफ़्रे''' राचीन मिस्र देश के चतुर्थ राजवंश का दूसरा फराउन और गीजा स्थित महान पिरामिड नं. 2 का निर्माता। महान पिरामिड नं. 1 का निर्माता सुप्रसिद्ध फराऊ न खुफू उसका बड़ा भाई था जिसका उत्तराधिकार उसे प्राप्त हुआ था। भाई के बाद मिस्र का राजदंड धारण कर उसने देश का शासन खुफू की ही देवविरोधी नीति से किया। उसके बाद उसके भतीजे, खुफू के पुत्र मनकोरा को राजगद्दी मिली। उसने शासन की नीति बदल दी, प्राचीन देवताओं के पूजन को पूर्वप्रतिष्ठा प्रदान की, मंदिरों के द्वार खोल दिए और उनकी जब्त देवोत्तर संपत्ति उन्हें लौटा दी। उसके बनवाए सोपानबद्ध पिरामिड की गणना भी गीजा के महान् पिरामिडों में की जाती है। खफ्रे और मनकोरा खुफू के बाद ई. पू. चतुर्थ-तृतीय सहस्राब्दी में किसी समय हुए थे। |
१२:०७, ७ अप्रैल २०१७ के समय का अवतरण
खफ़्रे
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 303 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | भगवतशरणा उपाध्याय |
खफ़्रे राचीन मिस्र देश के चतुर्थ राजवंश का दूसरा फराउन और गीजा स्थित महान पिरामिड नं. 2 का निर्माता। महान पिरामिड नं. 1 का निर्माता सुप्रसिद्ध फराऊ न खुफू उसका बड़ा भाई था जिसका उत्तराधिकार उसे प्राप्त हुआ था। भाई के बाद मिस्र का राजदंड धारण कर उसने देश का शासन खुफू की ही देवविरोधी नीति से किया। उसके बाद उसके भतीजे, खुफू के पुत्र मनकोरा को राजगद्दी मिली। उसने शासन की नीति बदल दी, प्राचीन देवताओं के पूजन को पूर्वप्रतिष्ठा प्रदान की, मंदिरों के द्वार खोल दिए और उनकी जब्त देवोत्तर संपत्ति उन्हें लौटा दी। उसके बनवाए सोपानबद्ध पिरामिड की गणना भी गीजा के महान् पिरामिडों में की जाती है। खफ्रे और मनकोरा खुफू के बाद ई. पू. चतुर्थ-तृतीय सहस्राब्दी में किसी समय हुए थे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ