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१४:१३, ३ सितम्बर २०११ के समय का अवतरण

लेख सूचना
ग्वानिडिन
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4
पृष्ठ संख्या 95
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक फूलदेव सहाय वर्मा
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक रवींद्र प्रताप राव

ग्वानिडिन (Guanidine), सूत्र हाना= का(नाहा२)२। इसका नामकरण प्यूरीन पदार्थ 'ग्वानिन' (Guano) में मिलता है। स्ट्रेकर (A. Strecker) ने सर्वप्रथम ग्वानिडिन को ग्वानिन के विघटन से प्राप्त किया। ग्वानिडिन के संजात प्रोटीन, मांसरस तथा अन्य ऐसी ही वस्तुओं में पाए जाते हैं। ग्वानिडिन बनाने की सर्वोत्तम विधि एमेनिय थयोसायनेट १८०° सें. तक गरम करने की है। इसमें पहले थायोयूरिआ बनता है, जो हाइड्रोजन सल्फाइड तथा सायन-ऐमाइड में विघटित हो जाता है। यह सायन-ऐमाइड अपरिवर्तित एमोनियम थायोसायनेट से संयुक्त होकर ग्वानिडिन थापोसायनेट बना लेता है।

ग्वानिडिन रंगहीन, मणिभीय तथा अत्यंत जलशोषक होता है। इसमें तीव्र क्षारीय गुण होते हैं। यह हवा से कार्बन डाइआक्साइड को अवशोषित कर लेता है तथा खनिज अम्लों और कार्बनिक अम्लों के साथ लवण बनाता है। क्षारों द्वारा जलविश्लेषित होने पर ग्वानिडिन ऐमोनिया तथा यूरिआ बनाता है। इसके नाइट्रेट तथा पिक्रेट अविलेय होते है और इस प्रकार ग्वानिडिन की पहचान में सहायता करते हैं।

नाइट्रोजन के यौगिकों के रसायन के विकास में ग्वानिडिन का अत्यंत ही महत्वपर्ण स्थान है। इसके नाइट्रीकरण से नाइट्रोग्वानिडिन, हाना : का (ना हा२). ना हा. ना औ२ (HN : C (NH2) NH. NO2) बनता है, जो (यशद चूर्ण+ ऐसीटिक अम्ल द्वारा) अवकृत किए जाने पर ऐमिनोग्वानिडिन बनता है। अम्लों अथवा क्षारों से जलविश्लेषित होकर पहले सेमिकार्बेज़ाइड बनाता है तथा बाद में कार्बन डाइआक्साइड, ऐमोनिया तथा हाइड्राज़िन। जानवरों के चपापचय में भी ग्वानिडिन महत्वपूर्ण भाग लेता है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ