"अपलेशियन पर्वत श्रेणी": अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) No edit summary |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) छो (अपलेशियन का नाम बदलकर अपलेशियन पर्वत श्रेणी कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
|
१३:२७, २० फ़रवरी २०१५ के समय का अवतरण
चित्र:Tranfer-icon.png | यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
अपलेशियन पर्वत श्रेणी
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 139,140 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | राधिकानारायण माथुर। |
अपलेशियन पर्वत उत्तरी अमरीका की एक पर्वतश्रेणी है जिसका कुछ भाग कैनाडा में और अधिकांश संयुक्त राज्य में है। यह उत्तर में न्यूफाउंडलैंड से गैस्पे प्रायद्वीप और नयू ब्रंजविक होकर दक्षिण-पश्चिम की ओर मध्य अलाबामा तक 1,500 मील की लंबाई में फैला हैं। इस पर्वतमाला की चौड़ाई उत्तर में 250 मील से लेकर दक्षिण में 150 मील तक हैं। इसकी समुद्रतल से औसत ऊँचाई साधारण है और इसका उच्चतम शिखर ब्लैक पर्वत पर स्थित माउंट माइकेल (6,711 फुट) है। अपलेशियन के शिखर साधारणत: गुंबदाकर हैं, जिनमें रॉकी पर्वत या पश्चिमी संयुक्त राज्य के अन्य नवीन पर्वतों की भाँति नोकीलेपन का अभाव है।
इस प्रणाली का भूवैज्ञानिक इतिहास अत्यंत जटिल है। इसके मोलिक उत्थान (अपलिफट) और भंजन (फ़ोल्डिंग) की क्रिया पुराकल्प (पैलिओज़ोइक) में, विशेषकर गिरियुग (परमियन युग) में, आरंभ हुई। भंजन-क्रिया तीव्रतापूर्वक पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ती गई, जिसके फलस्वरूप पूर्वी क्षेत्र भंजन तथा विभंजन (फॉल्डिग) द्वारा अधिक प्रभावित हुए हैं।
इस महत्वपूर्ण गिरि-निर्माण-काल के पश्चात् अपलेशियन प्रदेश क्रमश: अपक्षरण और उत्थानकालों से प्रभावित होता रहा हैं निकट पूर्वकाल में, संभवत: तृतीयक कल्प (टर्शियरी एरा) के अंत में, इस प्रदेश ने एक निम्नस्तरीय प्राचीन अपक्षरित मैदान (लो ओन्ड-एज एराज़्हनल प्लेन) का रूप धारण कर लिया । इसके पश्चात् पुनरुत्थान के कारण समुद्रतल से ऊँचाई में वृद्धि हुई और फलस्वरूप नदियों में महत्वपूर्ण ऊर्ध्वाधर अपक्षरण हुआ । धरातलीय शिलाओं की कठोरता सर्वत्र समान न होने के कारण यह अपक्षरण असमान गति से होता रहा और परिणामस्वरूप वर्तमान काल में दृष्टिगोचर विविध भूदृश्यों की उत्पति हुई।
भूम्यकारीय दृष्टि से अपलेशियन श्रेणी तीन समांतर भागों में विभक्त हो जाती है जो क्रमानुसार पश्चिम से पूर्व की ओर इस प्रकार है।
(1) अलधनी-कंगरलैंड-क्षेत्र अथवा अपलेशियन पठार, जो मुख्यत: क्षैतिज जलज शिलाओं द्वारा निर्मित एक बहु-शाखा-युक्त अपक्षरित पहाड़ी प्रदेश है। इसका उत्तरी भाग हिमनदियों के द्वारा प्रभावित हुआ है।
(2) मध्यस्थ 'रीढ़ तथा घाटी खंड' (रिज ऐंड वैली सेक्शन), जहाँ श्रंखलाओं और घाटियों का समांतर क्रम अत्यधिक भंजित शिलाओं पर स्थित है। यहाँ घाटियों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण 'महान् घाटी' (ग्रेट वैली) है जो न्यूयार्क से अलाबामा तक फैली है।
(3) ब्लू रिज क्षेत्र जो आग्नेय और परिवर्तित मिश्रित मणिभीय शिलाओं की अपक्षरित पहाड़ियों और नीचे पर्वतों का क्रम है।
इसके अंतर्गत पीडमॉण्ट पठार भी आता है।
अपलेशियन प्रणाली के पूर्व में अटलांटिक समुद्रतटीय मैदान स्थित है। अपलेशियन से पूर्व की ओर प्रवाहित नदियाँ पीडमॉण्ट पठार से प्रपातों के रूप में उस मैदान उतरती हैं। इन प्रपातों को मिलानेवाली कल्पित रेखा को प्रपातरेखा कहते हैं। जलशक्ति की विशेष सुविधा के करण प्रपातरेखा के नगर महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र हैं, जैसे फिलाडेलफिया, बाल्टीमोर, इत्यादि।
भूविज्ञान
अपलेशियन प्रदेश की शिलाएँ दो प्राकृतिक भागों में विभक्त हो जाती हैं :
(क) प्राचीन (कैंब्रियन-पूर्व) मणिभीय शिलाएँ : जैसे, संगमरमर, शिस्ट, नाइस, ग्रैनाइट, इत्यादि और
(ख) पुराकल्पीय अवसादों (पैलियोजोइक सेडिमेंट्स) का एक विशाल क्रम जिसके अंतर्गत कैंब्रियन से लेकर गिरियुग (सैंडस्टोन), शेल, चूने का पत्थर और कोयला। परंतु स्थानीय परिवर्तनों के कारण शेल स्लेट में, और विटयूमिनस कोयला ऐंथ्रासाइट में (जैसे उत्तरी पेनसिलवेनिया में), या ग्रैफाइट में (जैसे रोड द्वीप में) परिवर्तित हो गया है। अपलेशियन के मुख्य खनिज कोयला ओर लोहा हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ