"कृत्तिका नक्षत्र": अवतरणों में अंतर

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*एक तारापुंज जो आकाश में वृष राशि के समीप दिखाई पड़ता है।  
*एक तारापुंज जो आकाश में वृष राशि के समीप दिखाई पड़ता है।  
*कोरी आँख से प्रथम दृष्टि डालने पर इस पुंज के तारे अस्पष्ट और एक दूसरे से मिले हुए तथा किचपिच दिखाई पड़ते हैं जिसके कारण बोलचाल की भाषा में इसे किचपिचिया कहते हैं।  
*कोरी आँख से प्रथम दृष्टि डालने पर इस पुंज के तारे अस्पष्ट और एक दूसरे से मिले हुए तथा किचपिच दिखाई पड़ते हैं जिसके कारण बोलचाल की भाषा में इसे किचपिचिया कहते हैं।  

११:०८, २८ जुलाई २०१५ के समय का अवतरण

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  • एक तारापुंज जो आकाश में वृष राशि के समीप दिखाई पड़ता है।
  • कोरी आँख से प्रथम दृष्टि डालने पर इस पुंज के तारे अस्पष्ट और एक दूसरे से मिले हुए तथा किचपिच दिखाई पड़ते हैं जिसके कारण बोलचाल की भाषा में इसे किचपिचिया कहते हैं।
  • ध्यान से देखने पर इसमें छह तारे पृथक पृथक दिखाई पड़ते हैं।
  • दूरदर्शक से देखने पर इसमें सैकड़ों तारे दिखाई देते हैं, जिनके बीच में नीहारिका (Nebula) की हलकी धुंध भी दिखाई पड़ती है।
  • इस तारापुंज में ३०० से ५०० तक तारे होंगे जो ५० प्रकाशवर्ष के गोले में बिखरे हुए हैं।
  • केंद्र में तारों का घनत्व अधिक है।
  • चमकीले तारे भी केंद्र के ही पास हैं।
  • कृत्तिका तारापुंज पृथ्वी से लगभग ५०० प्रकाशवर्ष दूर है।
  • भारतीय ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सत्ताइस नक्षत्रों में तीसरा नक्षत्र।
  • इस नक्षत्र में छह तारे हैं जो संयुक्त रूप से अग्निशिखा के आकार के जान पड़ते हैं।
  • कृत्तिका को पौराणिक अनुश्रुतियों में दक्ष की पुत्री, चंद्रमा की पत्नी और कार्तिकेय की धातृ कहा गया है।
  • कृत्तिका नाम पर ही कार्तिकेय नाम पड़ा है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ