"महाभारत भीष्म पर्व अध्याय 44 श्लोक 20-30": अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
No edit summary
छो (Text replace - "{{महाभारत}}" to "{{सम्पूर्ण महाभारत}}")
पंक्ति १०: पंक्ति १०:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{महाभारत}}
{{सम्पूर्ण महाभारत}}
[[Category:कृष्ण कोश]] [[Category:महाभारत]][[Category:महाभारत भीष्मपर्व]]
[[Category:कृष्ण कोश]] [[Category:महाभारत]][[Category:महाभारत भीष्मपर्व]]
__INDEX__
__INDEX__

१३:०४, १९ जुलाई २०१५ का अवतरण

चतुश्चत्वारिंश (44) अध्‍याय: भीष्म पर्व (भीष्‍मवध पर्व)

महाभारत: भीष्म पर्व: चतुश्चत्वारिंश अध्याय: श्लोक 20-30 का हिन्दी अनुवाद

उस प्रथम संग्राम में जब भयानक धनुषों की टंकार तथा ताल ठोकने की आवाज हो रही थी, आपके तथा पाण्डवों के दल में भी कोई युद्ध से विमुख नही हुआ। भरतश्रेष्ठ ! उस समय मैंने द्रोणाचार्य के उन शिष्यों की फूर्ती देखी। वे बड़ी तीव्र गति से बाण छोड़ते और लक्ष्यो को बींध डालते थे। वहां टंकार करते हुए धनुषों के शब्द कभी शांत नही होते थे। आकाश से नक्षत्रों के समान उन धनुषों से चमकीले बाण प्रकट हो रहे थे। भरतनन्दन! दूसरे सब राजालोग उस कुटुम्बीजनों के भयंकर दर्शनीय संग्राम को दर्शक की भॉति देखने लगे। राजन् ! बाल्यावस्था में वे सभी एक दूसरे का अपराध कर चुके थे। सबका स्मरण हो आने से वे सभी महारथी रोष में भर गये और एक दूसरे के प्रति स्पर्धा रखने के कारण युद्ध में विजयी होने के लिये विशेष परिश्रम करने लगे। हाथी, घोडे़ और रथों से भरी हुई कौरव-पाण्डवों की वे सेनाएं पटपर अंकित हुई चित्रमयी सेनाओं की भॉति उस रण-भूमि में विशेष शोभा पा रही थी। तदनन्तर आपके पुत्र दुर्योधन की आज्ञा से अन्य सब राजा भी हाथ में धनुष-बाण लिये सेनाओं सहित वहां आ पहुंचे। इसी प्रकार युधिष्ठिर की आज्ञा पाकर सहस्त्रों नरेश गर्जना करते हुए आपके पुत्र की सेना पर टूट पडे़। उन दोनों सेनाओं का वह संघर्ष अत्यन्त दुःसह था। सेना की धूल से आच्छादित हो सूर्यदेव अदृश्य हो गये। कुछ लोग युद्ध करते, कुछ भागते और भागकर फिर लौट आते थे। इस बात में अपने और शत्रुपक्ष के सैनिकों में कोई अन्तर नही दिखाई देता था। जिस समय वह अत्यंत भयानक तुमूल युद्ध छिड़ा हुआ था, उस समय आपके ताऊ भीष्मजी उन समस्त सेनाओंसे ऊपर उठकर अपने तेज से प्रकाशित हो रहे थे।

इस प्रकार श्रीमहाभारत भीष्मपर्व के अन्तर्गत भीष्मवधपर्व में युद्ध का आरम्भविषयक चौवालीसवां अध्याय पूरा हुआ।


« पीछे आगे »

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

साँचा:सम्पूर्ण महाभारत अभी निर्माणाधीन है।