"महाभारत आदि पर्व अध्याय 191 श्लोक 26-28": अवतरणों में अंतर

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‘क्‍या द्रौपदी को पाने वाला पुरुष अपने समान वर्ण (क्षत्रियकुल) का ही कोई श्रेष्‍ठ पुरुष है ? अथवा वह अपने से भी श्रेष्‍ठ ब्राह्मण कुल  का है ? बेटा ! मेरी कृष्‍णा का स्‍पर्श कर किसी निम्रवर्ण वाले मनुष्‍य ने  आज मेरे मस्‍तक पर अपना बांया पैर तो नहीं रख दिया ? ‘क्‍या ऐसा सौभाग्‍य होगा कि मैं नरश्रेष्‍ठ अर्जुन से द्रौपदी का विवाह करके अत्‍यन्‍त प्रसन्‍न होऊं और कभी भी संतप्‍त न हो सकूं ? महानुभाव पुत्र ! ठीक-ठीक बताओ, आज जिसने मेरी पुत्री को जीता है, वह पुरुष कौन है ? ‘क्‍या कुरुकुल के श्रेष्‍ठ वीर विचित्र वीर्यकुमार पाण्‍डु के शूरवीर पुत्र अभी जीवित हैं? क्‍या आज कुन्‍ती के सबसे छोटे पुत्र अर्जुन ने ही उस धनुष को उठाया और लक्ष्‍य को मार गिराया था ?’  
‘क्‍या द्रौपदी को पाने वाला पुरुष अपने समान वर्ण (क्षत्रियकुल) का ही कोई श्रेष्‍ठ पुरुष है ? अथवा वह अपने से भी श्रेष्‍ठ ब्राह्मण कुल  का है ? बेटा ! मेरी कृष्‍णा का स्‍पर्श कर किसी निम्रवर्ण वाले मनुष्‍य ने  आज मेरे मस्‍तक पर अपना बांया पैर तो नहीं रख दिया ? ‘क्‍या ऐसा सौभाग्‍य होगा कि मैं नरश्रेष्‍ठ अर्जुन से द्रौपदी का विवाह करके अत्‍यन्‍त प्रसन्‍न होऊं और कभी भी संतप्‍त न हो सकूं ? महानुभाव पुत्र ! ठीक-ठीक बताओ, आज जिसने मेरी पुत्री को जीता है, वह पुरुष कौन है ? ‘क्‍या कुरुकुल के श्रेष्‍ठ वीर विचित्र वीर्यकुमार पाण्‍डु के शूरवीर पुत्र अभी जीवित हैं? क्‍या आज कुन्‍ती के सबसे छोटे पुत्र अर्जुन ने ही उस धनुष को उठाया और लक्ष्‍य को मार गिराया था ?’  


<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">इस प्रकार श्रीमहाभारत आदिपर्व के अन्‍तर्गत स्‍वयंवर पर्व में धृष्‍टधुम्न प्रत्‍यागमन विषयक एक सौ इक्‍यानेवां अध्‍याय पूरा हुआ</div>
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">इस प्रकार श्रीमहाभारत आदिपर्व के अन्‍तर्गत स्‍वयंवर पर्व में धृष्‍टधुम्न प्रत्‍यागमन विषयक एक सौ इक्‍यानेवां अध्‍याय पूरा हुआ।</div>  


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०८:२०, १० अगस्त २०१५ के समय का अवतरण

एकनवत्‍यधिकशततम (191) अध्‍याय: आदि पर्व (स्‍वयंवर पर्व)

महाभारत: आदि पर्व: एकनवत्‍यधिकशततम अध्‍याय: श्लोक 26-28 का हिन्दी अनुवाद

‘क्‍या द्रौपदी को पाने वाला पुरुष अपने समान वर्ण (क्षत्रियकुल) का ही कोई श्रेष्‍ठ पुरुष है ? अथवा वह अपने से भी श्रेष्‍ठ ब्राह्मण कुल का है ? बेटा ! मेरी कृष्‍णा का स्‍पर्श कर किसी निम्रवर्ण वाले मनुष्‍य ने आज मेरे मस्‍तक पर अपना बांया पैर तो नहीं रख दिया ? ‘क्‍या ऐसा सौभाग्‍य होगा कि मैं नरश्रेष्‍ठ अर्जुन से द्रौपदी का विवाह करके अत्‍यन्‍त प्रसन्‍न होऊं और कभी भी संतप्‍त न हो सकूं ? महानुभाव पुत्र ! ठीक-ठीक बताओ, आज जिसने मेरी पुत्री को जीता है, वह पुरुष कौन है ? ‘क्‍या कुरुकुल के श्रेष्‍ठ वीर विचित्र वीर्यकुमार पाण्‍डु के शूरवीर पुत्र अभी जीवित हैं? क्‍या आज कुन्‍ती के सबसे छोटे पुत्र अर्जुन ने ही उस धनुष को उठाया और लक्ष्‍य को मार गिराया था ?’

इस प्रकार श्रीमहाभारत आदिपर्व के अन्‍तर्गत स्‍वयंवर पर्व में धृष्‍टधुम्न प्रत्‍यागमन विषयक एक सौ इक्‍यानेवां अध्‍याय पूरा हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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