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− | '''देवल''' | + | '''देवल''' इस नाम के दो ऋषि प्रसिद्ध हो गए हैं। हरिवंश के अनुसार एक देवल प्रत्यूषवसु के पुत्र हो गए हैं। और दूसरे असित के पुत्र हैं। ये दूसरे देवल रंभा के शाप से अष्टावक्र हो गए थे। गीता के अनुसार यही देवल धर्मशास्त्र के प्रवक्ता थे। |
− | + | *आज भी देवल स्मृति उपलब्ध है पर इसका निर्माणकाल बहुत बाद का है। ये वेदव्यास के शिष्य थे। | |
− | + | *धार्मिक अथवा देवता की पूजा करके जीविका अर्जित करने वाले व्यक्ति को भी देवल कहते हैं। | |
− | + | * र और ल में अभेद होने से देवर को भी देवल कहते हैं। | |
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११:१२, ११ सितम्बर २०१५ का अवतरण
देवल
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 6 |
पृष्ठ संख्या | 117 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
लेखक | रामचंद्र पांडेय |
संपादक | फूलदेवसहाय वर्मा |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1966 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
देवल इस नाम के दो ऋषि प्रसिद्ध हो गए हैं। हरिवंश के अनुसार एक देवल प्रत्यूषवसु के पुत्र हो गए हैं। और दूसरे असित के पुत्र हैं। ये दूसरे देवल रंभा के शाप से अष्टावक्र हो गए थे। गीता के अनुसार यही देवल धर्मशास्त्र के प्रवक्ता थे।
- आज भी देवल स्मृति उपलब्ध है पर इसका निर्माणकाल बहुत बाद का है। ये वेदव्यास के शिष्य थे।
- धार्मिक अथवा देवता की पूजा करके जीविका अर्जित करने वाले व्यक्ति को भी देवल कहते हैं।
- र और ल में अभेद होने से देवर को भी देवल कहते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ