अपराजितवर्मन
अपराजितवर्मन
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 137 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | भगवतीशरण उपाध्याय । |
अपराजितवर्मन् इस पल्लव राजा ने पल्लवों की विचलित कुललक्ष्मी को कुछ काल तक अचल रखा। वह 876 ई. के लगभग गद्दी पर बैठा और 895 ई. के लगभग उसकी मृत्यु हुई। उसने पांडयराज वरबुण द्वितीयको परास्त किया, परंतु चोडो की सर्वग्रासी शक्ति ने पल्लवों को जीतकर तोंडमंडलम् पर अधिकार कर लिया और पल्लवों के स्वतंत्र शासन का अंत हो गया। अपराजितवर्मन् अंतिम पल्लव राजा था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ