किरथर पर्वत
किरथर पर्वत सिंध तथा बलूचिस्तान में झालावान क्षेत्र की सीमा पर लगभग २३ १३ से २८ ३६ उत्तर अक्षांश तथा ६७ ११ से ६० ४० पूर्व देशांतर रेखाओं के मध्य फैली पर्वतश्रेणी। मूला नदी जहाँ अपने पर्वतीय पथ से कच्छी मैदान में उतरती है, वहाँ से उक्त पर्वत ठीक दक्षिण दिशा में लगभग १९० मील तक, नग्न पथरीली पहाड़ियों की समांतर श्रेणियों के रूप में, फैला है। इसकी एक उपश्रेणी दक्षिणपूर्व में कराची जिले तक चली गई है। यह पर्वत पहाड़ियों की एक ही श्रृंखलाबद्ध श्रेणी के रूप में, मौज अंतरीप तक चला गया है। इसकी सर्वाधिक चौड़ाई लगभग ६० मील है। जरदक नामक शिखर सर्वोच्च (७,४३० फुट) है। प्रधान उपशाखा लक्खी श्रेणी कहलाती है। कालोची अथवा गज नदी किरथर पर्वतमाला में खड्ड बनाती हुई प्रवाहित होती है। इस पर्वतश्रेणी में हरबाब, फुसी, रोहेल, गर्रे आदि प्रमुख दरें है। इन्हीं पहाड़ियों के नाम पर इस क्षेत्र में उपलब्ध चूनापत्थर का भूवैज्ञानिक नाम किरथर चूनापत्थर पड़ा है। बलूची, जाट तथा ब्राहुई इन पहाड़ियों में रहनेवाली प्रमुख जातियां हैं जिनका मुख्य धंधा भेड़ पालना है। वन्य जीवों में पर्वतीय भेड़, काल भालू तथा चीता प्रमुख हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ