श्रीमद्भागवत महापुराण प्रथम स्कन्ध अध्याय 12 श्लोक 33-36

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प्रथम स्कन्धःद्वादश अध्यायः (12)

श्रीमद्भागवत महापुराण: प्रथम स्कन्धः द्वादश अध्यायः श्लोक 33-36 का हिन्दी अनुवाद
परीक्षित् का जन्म


उनका अभिप्राय समझकर भगवान् श्रीकृष्ण की प्रेरणा से उनके भाई उत्तर दिशा में राजा मरुत्त और ब्राम्हणों द्वारा छोड़ा हुआ बहुत-सा धन ले आये । उससे यज्ञ की सामग्री एकत्र करके धर्मभीरु महाराज युधिष्ठिर ने तीन अश्वमेधयज्ञों के द्वारा भगवान् की पूजा की । युधिष्ठिर के निमन्त्रण से पधारे हुए भगवान् ब्राम्हणों द्वारा उनका यज्ञ सम्पन्न कराकर अपने सुहृद् पाण्डवों की प्रसन्नता के लिये कई महीनों तक वहीं रहे । शौनकजी! इसके बाद भाइयों सहित राजा युधिष्ठिर और द्रौपदी से अनुमति लेकर अर्जुन के साथ यदुवंशियों से घिरे हुए भगवान् श्रीकृष्ण ने द्वारका के लिये प्रस्थान किया ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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