महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 109 श्लोक 16-21

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नवाधिकशततम (109) अध्‍याय: उद्योग पर्व (भगवादयान पर्व)

महाभारत: उद्योग पर्व: नवाधिकशततम अध्याय: श्लोक 16-21 का हिन्दी अनुवाद

गालव ! पूर्वकाल की बात है, मैं भूख से पीड़ित होकर भारी चिंता में पड़ गया था, परंतु इसी दिशा में आने पर दो विशाल प्राणी – हाथी और कछुआ मेरे हाथ लग गये, जो आपस में लड़ रहे थे। सूर्य के समान तेजस्वी महर्षि कर्दम से उत्पन्न हुए 'चक्र-धनु' नामक महर्षि इसी दिशा में रहते थे, जिन्हें सब लोग 'कपिलदेव' के नाम से जानते हैं । उन्होनें ही सगर के पुत्रों को भस्म कर दिया था । इसी दिशा में 'शिव' नाम से प्रसिद्ध कुछ सिद्ध ब्राह्मण रहते थे, जो वेदों के पारंगत पंडित थे । उन्होनें सम्पूर्ण वेदों का अध्ययन करके ( तत्वज्ञान द्वारा ) अक्षय मोक्ष प्राप्त कर लिया । दक्षिण में ही वासुकि द्वारा पालित तथा तक्षक एवं एरावत नागद्वारा सुरक्षित भोगवती नामक पुरी है । मृत्यु के पश्चात इस दिशा में जानेवाले प्राणी को ऐसे घोर अंधकार का सामना करना पड़ता है, जो साक्षात अग्नि एवं सूर्य के लिए भी अभेद्य है । गालव ! तुम मेरे द्वारा परिचर्या पाने ( सेवा ग्रहण करने ) के योग्य हो, अत: तुम्हें यह दक्षिण मार्ग बताया है, यदि इस दिशा में चलना हो तो मुझसे कहो अथवा अब तीसरी पश्चिम दिशा का वर्णन सुनो ।

इस प्रकार श्रीमहाभारत उद्योगपर्व के अंतर्गत भगवदयानपर्व में गालव चरित्र विषयक एक सौ नौवाँ अध्याय पूरा हुआ ।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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