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अपरूपता
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 139 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | निरंकार सिंह । |
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अपरूपता जब एक ही तत्व कई रूपों में मिलता है तो तत्व के इस गुण को अपरूपता (एलॉट्रोपी) कहते हैं और उसके विभिन्न रूपों को उस तत्व का अपरूप कहते हैं। जैसे कार्बन के विभिन्न अपरूप हीरा (डायमंड), ग्रेफाइट, कोयला (कोल), कोक, चारकोल या काष्ठकोयला, अस्थिकोयला (बोनब्लैक), काजल, कार्बन, ब्लैक, गैस कार्बन और पेट्रोलियम कोक, तथा चीनी कोयला, इत्यादि हैं। कार्बन के अतिरिक्त आक्सीजन, गंधक, फॉस्फोरस आदि भी अपरूपों में पाए जाते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ