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'''उजियारे लाल''' एक और अन्य कवि [[उजियारे कवि]] से भिन्न कवि हैं। खोज रिपोर्ट<ref>संख्या 10, सन 1917-18</ref> से केवल इतना ही पता चलता है कि उजियारे लाल ने परिपाटीबद्ध पद्धति पर 'गंगालहरी' नामक काव्य ग्रंथ का प्रणयन किया है।
 
'''उजियारे लाल''' एक और अन्य कवि [[उजियारे कवि]] से भिन्न कवि हैं। खोज रिपोर्ट<ref>संख्या 10, सन 1917-18</ref> से केवल इतना ही पता चलता है कि उजियारे लाल ने परिपाटीबद्ध पद्धति पर 'गंगालहरी' नामक काव्य ग्रंथ का प्रणयन किया है।
  

१०:०३, ४ फ़रवरी २०१४ के समय का अवतरण

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उजियारे लाल एक और अन्य कवि उजियारे कवि से भिन्न कवि हैं। खोज रिपोर्ट[१] से केवल इतना ही पता चलता है कि उजियारे लाल ने परिपाटीबद्ध पद्धति पर 'गंगालहरी' नामक काव्य ग्रंथ का प्रणयन किया है।

  • 'गंगालहरी' नामक काव्य ग्रंथ की हस्तलिखित प्रति मथुरा, उत्तर प्रदेश में रमनलाल हरिचंद जौहरी के यहाँ देखी गई है।
  • उजियारे लाल के काव्य 'गंगालहरी' में कुल 165 कवित्त और सवैये हैं।
  • काव्य की दृष्टि से इस रचना में न तो कोई विशेषता है और न ही निखार। लेकिन अलंकार प्रदर्शन और चमत्कार के प्रति कवि का मोह अवश्य दिखाई पड़ता है।[२]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संख्या 10, सन 1917-18
  2. कैलास चन्द्र शर्मा, हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2, पृष्ठ संख्या 58