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ऐडोबे
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 275 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | मुहम्मद अजहर असगर अंसारी |
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ऐडोबे अमरीका के दक्षिण-पश्चिमी संयुक्त राज्य और उत्तरी मेक्सिको में ऐडोबे कच्ची ईट और कच्ची ईटों से बने मकान को कहते हैं। उस मिट्टी को भी बहुधा ऐडोबे कहते हैं जिससे अच्छी ईटें बनती हैं। यह शब्द स्पेन के 'ऐडोबार' शब्द से निकला है, जिसका अर्थ है मिट्टी का लेप या पलस्तर। ऐडोबे ईट बनाने के लिए मिट्टी, थोड़ा सा भूसा, पुआल, या सूखी घास मिलाकर सान ली जाती है और फिर पैर से कुचलकर अच्छी तरह गूँध ली जाती है। तदनंतर लकड़ी के साँचों की सहायता से ईटें बना ली जाती हैं। नाप में यह ईटे साधारण ईटों से लेकर दो गज तक लंबी, एक फुट तक चौड़ी और आठ इंच तक मोटी होती है। ईटोंं की जोड़ाई मिट्टी के ही गारों से की जाती है और मिट्टी से ही बाहर और भीतर पलस्तर भी कर दिया जाता है। सूख जाने पर चूना कर दिया जाता है। चौड़ा छज्जा और अच्छी छत रहने पर, जो वर्षा में टपके नहीं, अमरीका और मेक्सिको में ये मकान बरसों, कभी कभी सैकड़ों वर्ष, चलते हैं। कॉलोरेडो (अमरीका) में पृथक् ईटं बनाने की प्रथा नहीं है। वहाँ दीवार बनाने के लिए अगल बगल अस्थायी रूप से पटरे खड़े कर दिए जाते हैं और उनके बीच कड़ी सनी हुई मिट्टी कूट दी जाती है। कुछ दिन तक सूखने देकर पटरों को अधिक ऊँचाई पर बाँधते हैं और इस प्रकार तह पर तह मिट्टी डालकर दीवार बना लेते हैं। दीवारें चाहे इस प्रकार बनें, चाहे ईटोंं से, पर जब उनपर बाहर से सीमेंट का पलस्तर कर दिया जाता है तो ये (ऐडोबे के) मकान बहुत टिकाऊ होते हैं। ऐडोबे की ईटं बनाने के लिए वही मिट्टी अच्छी होती है जो सूखने पर बहुत कड़ी और मजबूत हो जाती है।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्रं.–आर.एम. सिंगर : ऐडोबे हाउस कंस्ट्रक्शन (नैशनल बिल्डर, खंड 67, पृ. 74-76, 1924)।