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ऐरेख्थियम
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 282 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | भोलानाथ शर्मा |
ऐरेख्थियम् एक प्राचीन मंदिर जो एथेंस नगर के श्रेष्ठ भाग अक्रोपोलिस में स्थित है। इसका निर्माण ऐरेख्थियस नामक राजा द्वारा आरंभ किया गया था, जिसके निमित इसका एक भाग समर्पित भी था। निर्माण कार्य का आरंभ ई. पू. 431 अथवा 421 में हुआ था तथा ई. पू. 407 तक यह पूर्णतया निर्मित हो चुका था। पर इसके थोड़े ही समय पश्चात् यह जलकर नष्ट हो गया। ई.पू. चतुर्थ शताब्दी के प्रथम दशक में इसका सविस्तार पुनरुद्धार किया गया। ईसाई धर्मप्रचार हो जाने पर मध्यकाल में इसका उपयोग गिरजाघर के रूप में होने लगा। तत्पश्चात् जब एथेंस पर तुर्को का अधिकार हुआ, यह सैनिक शासक का हरम बन गया। सन् 1827 में अक्रोपोलिस के घेरे के समय इसे बहुत क्षति पहुँची। 1852 ई. में आँधी से इसकी पश्चिमी दीवार गिर पड़ी। 20वीं शताब्दी में इस मंदिर का पुन: पूर्णतया अत्यंत सावधानी से जीर्णोद्धार किया गया है। इतना ही नहीं, इसके एक एक प्रस्तरखंड का अध्ययन किया जा चुका है। यह ग्रीक-यवन जगत् का सबसे महत्वपूर्ण और सुंदर मंदिर है। इसमें देवी अथेना और पोसेइदन् (जलदेवता) के पूजास्थल भी थे।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्रं.–स्टीवैन्स ऐंड पैटन : दि ऐरेख्थियम्, 1927।