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कज़ाकिस्तान राज्य में गणतंत्र की स्थापना सन्‌ १९२० में हुई थी तथा सन्‌ १९३६ में यह सोवियत संघ का एक अंग बन गया। इस गणतंत्र का क्षेत्रफल लगभग २७,१५,१०० वर्ग किलोमीटर है। लगभग ३० प्रतिशत जनसंख्या कज़ाकों की है। बहुत दिनों तक यहाँ के निवासी पशुपालन का कार्य करते थे तथा अपने पशुओं के झुंड को साथ लिए यायावर के रूप में घूमते तथा खेमों में रहा करते थे।
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कज़ाकिस्तान राज्य में गणतंत्र की स्थापना सन्‌ 1920 में हुई थी तथा सन्‌ 1936 में यह सोवियत संघ का एक अंग बन गया। इस गणतंत्र का क्षेत्रफल लगभग 27,15,100 वर्ग किलोमीटर है। लगभग 30 प्रतिशत जनसंख्या कज़ाकों की है। बहुत दिनों तक यहाँ के निवासी पशुपालन का कार्य करते थे तथा अपने पशुओं के झुंड को साथ लिए यायावर के रूप में घूमते तथा खेमों में रहा करते थे।
  
 
यह राज्य पश्चिम में वोल्गा के निचले भाग से लेकर पूर्व में सीक्यांग की सीमा तक तथा उत्तर में ट्रांस साइबेरियन रेलवे से लेकर दक्षिण में तियेनशान पर्वत तक, एक बृहत्‌ वृक्षहीन मैदान के रूप में फेला हुआ है। यहाँ की जलवायु शुष्क और वनस्पति घास है। यहाँ की मुख्य नदियाँ सर दरिया, ईतिश, युराल, इलि तथ इशिम हैं। कृषियोग्य भूमि इस राज्य के केवल उत्तरी, पश्चिमी तथा दक्षिणी भागों में है। उत्तरी भाग के काली मिट्टीवाले क्षेत्र में अन्न, दक्षिणी क्षेत्र में रुई तथा अन्य औद्योगिक फसलें और तियेनशान पर्वत की तलहटी में फल उत्पन्न किए जाते हैं। इस राज्य की कृषि में निम्नलिखित फसलें मुख्य हैं-गेहूँ, ज्वार, चुकंदर, तंबाकू, रुई, धान इत्यादि। यहाँ के पशुधन में भेड़, लंबी सींगवाली गाय, घोड़ा तथा ऊँट उल्लेखनीय हैं। यह राज्य खनिज संपत्ति की दृष्टि से सुसंपन्न है। ताँबा, सीसा, जस्ता, निकेल, क्रोमाइट, मैंगनीज़ तथा ऐंटीमनी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। एंबा में खनिज तेल तथा कारागांडा में कोयले की अपार राशि है।
 
यह राज्य पश्चिम में वोल्गा के निचले भाग से लेकर पूर्व में सीक्यांग की सीमा तक तथा उत्तर में ट्रांस साइबेरियन रेलवे से लेकर दक्षिण में तियेनशान पर्वत तक, एक बृहत्‌ वृक्षहीन मैदान के रूप में फेला हुआ है। यहाँ की जलवायु शुष्क और वनस्पति घास है। यहाँ की मुख्य नदियाँ सर दरिया, ईतिश, युराल, इलि तथ इशिम हैं। कृषियोग्य भूमि इस राज्य के केवल उत्तरी, पश्चिमी तथा दक्षिणी भागों में है। उत्तरी भाग के काली मिट्टीवाले क्षेत्र में अन्न, दक्षिणी क्षेत्र में रुई तथा अन्य औद्योगिक फसलें और तियेनशान पर्वत की तलहटी में फल उत्पन्न किए जाते हैं। इस राज्य की कृषि में निम्नलिखित फसलें मुख्य हैं-गेहूँ, ज्वार, चुकंदर, तंबाकू, रुई, धान इत्यादि। यहाँ के पशुधन में भेड़, लंबी सींगवाली गाय, घोड़ा तथा ऊँट उल्लेखनीय हैं। यह राज्य खनिज संपत्ति की दृष्टि से सुसंपन्न है। ताँबा, सीसा, जस्ता, निकेल, क्रोमाइट, मैंगनीज़ तथा ऐंटीमनी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। एंबा में खनिज तेल तथा कारागांडा में कोयले की अपार राशि है।
  
सोवियत संघ में सम्मिलित होने पर इस घास के मैदान में अनेक खानों, नगरों तथा कारखानों का विकास हुआ। अनेक रेलमार्ग भी बनाए गए जिनका इस क्षेत्र के आर्थिक विकास में बहुत बड़ा हाथ है। द्वितीय विश्वयुद्ध से पूर्व के १५ वर्षों में ,०३० किलोमीटर लंबे रेलमार्गों का निर्माण हुआ। खाद्य संबंधी उद्योग बहुत विकसित हुए हैं जैसे, चीनी, मक्खन, आटा तथा मांस उद्योग और फल, सब्जी, मछली इत्यादि को डब्बों में निर्यातार्थ भरने का उद्योग। तंबाकू तथा चमड़े के उद्योग भी उल्लेखनीय हैं। राज्य का सबसे बड़ा औद्योगिक नगर बाल्कश है। आत्माअता इस राज्य की राजधानी तथा मुख्य सांस्कृतिक केंद्र है। अक्टूबर, १९१७ की क्रांति के बाद राज्य में कई नहरें तथा बाँध बनाए गए और मरुभूमि का कुछ भाग कृषियोग्य भूमि में परिणत हो गया।
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सोवियत संघ में सम्मिलित होने पर इस घास के मैदान में अनेक खानों, नगरों तथा कारखानों का विकास हुआ। अनेक रेलमार्ग भी बनाए गए जिनका इस क्षेत्र के आर्थिक विकास में बहुत बड़ा हाथ है। द्वितीय विश्वयुद्ध से पूर्व के 15 वर्षों में 5,030 किलोमीटर लंबे रेलमार्गों का निर्माण हुआ। खाद्य संबंधी उद्योग बहुत विकसित हुए हैं जैसे, चीनी, मक्खन, आटा तथा मांस उद्योग और फल, सब्जी, मछली इत्यादि को डब्बों में निर्यातार्थ भरने का उद्योग। तंबाकू तथा चमड़े के उद्योग भी उल्लेखनीय हैं। राज्य का सबसे बड़ा औद्योगिक नगर बाल्कश है। आत्माअता इस राज्य की राजधानी तथा मुख्य सांस्कृतिक केंद्र है। अक्टूबर, 1917 की क्रांति के बाद राज्य में कई नहरें तथा बाँध बनाए गए और मरुभूमि का कुछ भाग कृषियोग्य भूमि में परिणत हो गया।
  
 
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लेख सूचना
कज़ाकिस्तान
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 366
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1975 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक नर्मदेश्वर प्रसाद

कज़ाकिस्तान राज्य में गणतंत्र की स्थापना सन्‌ 1920 में हुई थी तथा सन्‌ 1936 में यह सोवियत संघ का एक अंग बन गया। इस गणतंत्र का क्षेत्रफल लगभग 27,15,100 वर्ग किलोमीटर है। लगभग 30 प्रतिशत जनसंख्या कज़ाकों की है। बहुत दिनों तक यहाँ के निवासी पशुपालन का कार्य करते थे तथा अपने पशुओं के झुंड को साथ लिए यायावर के रूप में घूमते तथा खेमों में रहा करते थे।

यह राज्य पश्चिम में वोल्गा के निचले भाग से लेकर पूर्व में सीक्यांग की सीमा तक तथा उत्तर में ट्रांस साइबेरियन रेलवे से लेकर दक्षिण में तियेनशान पर्वत तक, एक बृहत्‌ वृक्षहीन मैदान के रूप में फेला हुआ है। यहाँ की जलवायु शुष्क और वनस्पति घास है। यहाँ की मुख्य नदियाँ सर दरिया, ईतिश, युराल, इलि तथ इशिम हैं। कृषियोग्य भूमि इस राज्य के केवल उत्तरी, पश्चिमी तथा दक्षिणी भागों में है। उत्तरी भाग के काली मिट्टीवाले क्षेत्र में अन्न, दक्षिणी क्षेत्र में रुई तथा अन्य औद्योगिक फसलें और तियेनशान पर्वत की तलहटी में फल उत्पन्न किए जाते हैं। इस राज्य की कृषि में निम्नलिखित फसलें मुख्य हैं-गेहूँ, ज्वार, चुकंदर, तंबाकू, रुई, धान इत्यादि। यहाँ के पशुधन में भेड़, लंबी सींगवाली गाय, घोड़ा तथा ऊँट उल्लेखनीय हैं। यह राज्य खनिज संपत्ति की दृष्टि से सुसंपन्न है। ताँबा, सीसा, जस्ता, निकेल, क्रोमाइट, मैंगनीज़ तथा ऐंटीमनी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। एंबा में खनिज तेल तथा कारागांडा में कोयले की अपार राशि है।

सोवियत संघ में सम्मिलित होने पर इस घास के मैदान में अनेक खानों, नगरों तथा कारखानों का विकास हुआ। अनेक रेलमार्ग भी बनाए गए जिनका इस क्षेत्र के आर्थिक विकास में बहुत बड़ा हाथ है। द्वितीय विश्वयुद्ध से पूर्व के 15 वर्षों में 5,030 किलोमीटर लंबे रेलमार्गों का निर्माण हुआ। खाद्य संबंधी उद्योग बहुत विकसित हुए हैं जैसे, चीनी, मक्खन, आटा तथा मांस उद्योग और फल, सब्जी, मछली इत्यादि को डब्बों में निर्यातार्थ भरने का उद्योग। तंबाकू तथा चमड़े के उद्योग भी उल्लेखनीय हैं। राज्य का सबसे बड़ा औद्योगिक नगर बाल्कश है। आत्माअता इस राज्य की राजधानी तथा मुख्य सांस्कृतिक केंद्र है। अक्टूबर, 1917 की क्रांति के बाद राज्य में कई नहरें तथा बाँध बनाए गए और मरुभूमि का कुछ भाग कृषियोग्य भूमि में परिणत हो गया।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

“खण्ड 2”, हिन्दी विश्वकोश, 1975 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 366।