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११:४२, ३ सितम्बर २०११ का अवतरण

लेख सूचना
क़ुवैत
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 75
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक परमेश्वरीलाल गुप्त

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क़ुवैत अरब के उत्तरीपश्चिमी किनारे पर ईराक और सऊदी अरब के बीच के रेगिस्तानी प्रदेश के सिरे पर स्थित १९५० वर्गमील का छोटा किंतु अत्यंत महत्व का अरब राज्य (स्थिति : २९०.२०’उत्तर; ४००.००’ पूर्व)। इसका नाम कुत शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है क़िला। इसे क़ुरैन भी कहते हैं। इसकी स्थापना शेख सबा (प्रथम) ने १७५६ ई. में की थी। १८९८ में तुर्की ने इस पर अधिकार करने का प्रयास किया था। फलस्वरूप १८९९ ई. में शेख मुबारक ने अंग्रेजों से एक संधिकर सुरक्षा संरक्षण प्राप्त किया। १९१४ ई. में अंग्रेजों ने अपने संरक्षण के अंतर्गत इसकी स्वतंत्र सत्ता स्वीकार की। १९ जून, १९६१ में एक नई संधि हुई जिसमें १८९९ की संधि समाप्त कर दी गई और आंतरिक एवं बाह्य सभी मामलों इसकी पूर्ण स्वतंत्रता की गई।

१९३८ ई. के पूर्व इसका कोई राजनीतिक अथवा आर्थिक महत्व न था। यहाँ के निवासी समुद्री व्यापार पर निर्भर करते थे। नाव का निर्माण, नाविक कला, अरबी घोड़े, मोती, ऊन, भेड़ ही उनके व्यवसाय थे। किंतु अब तेल के उद्योग के कारण विश्व के आर्थिक जगत्‌ में इसका एक विशिष्ट और महत्वपूर्ण स्थान है। तेल के शोध के लिए कुवैत आयल कंपनी ने, जिसमें अंग्रेजी ऐंग्लो-इरानियन आयल कंपनी और अमरीकी गल्फ आयल की समान साझेदारी थी, अनुमति प्राप्त की और १९४६ से क्रू ड आयल का उत्पादन आरंभ हुआ। यह उत्पादन बड़ी तीव्रता से बढ़ा और इस क्षेत्र में यह देश ईरान और सऊदी अरब से बराबरी का दावा करता है। तेल की खानों से मीना-अल-अहमदी तक एक पाइप लाइन बिछा दी गई है और वहाँ तेल साफ करने का कारखाना लगा दिया गया है जिसकी क्षमता १,९०,००० बैरेल प्रति दिन है किंतु उत्पादन का ८० प्रतिशत बिना साफ किए ही निर्यात होता है। इस निर्यात के लिए मीना-अल-अहमदी में बंदरगाह का इस प्रकार विस्तार किया गया है कि एक साथ पाँच सुपरटैंकरों में तेल भरा जा सकता है।

क़ुवैत आयल कंपनी के अतिरिक्त, जिसमें अब क़ुवैत सरकार की आधे की साझेदारी है, १९४८ में अमेरिकन इंडिपेंडेंट आयल कंपनी को कुवैत के तटस्थ प्रदेश में जो कुवैत और सऊदी अरब के बीच में हैं, तेलशोध का अधिकार दिया गया। वहाँ १९५३ में तेल के स्रोत मिले और उसी वर्ष से वहाँ से भी तेल बड़ी मात्रा में निर्यात होता हैं। कुवैत ने अपने तटस्थ प्रदेश के तटवर्ती समुद्र से तेल निकालने का अधिकार एक जापानी कंपनी को दे रखा है। वहाँ से १९६१ से तेल निकल रहा है और जापान निर्यात किया जाता है। कुवैत के तटवर्ती समुद्र से तेल निकालने का काम एक डच कंपनी भी कर रही है। अब एक स्पेन की कंपनी को भी तेल निकालने का अधिकार प्राप्त हुआ है। इस प्रकार कुवैत में तेल उद्योग का निरंतर विकास हो रहा है।



टीका टिप्पणी और संदर्भ