कुटिया
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कुटिया घास-फूस से बनी छोटी झोपड़ी। साधुओं के रहने का स्थान।
अँगरेजी शब्द काटेज के अर्थ में छोटा मकान जिसे धनवान लोग नगर के बाहर बाग बगीचे में, या ग्रीष्मकाल में पर्वतीय स्थलों पर, थोड़े दिन के विश्राम एवं मनोरंजन के हेतु, बनवाते हैं। इसकी रचना में साधारण मकानों के निर्माण के प्राय: सभी सिद्धांत तथा नियम लागू होते हैं। अंतर केवल इतना ही है कि थोड़े स्थान में सभी सुविधाएँ प्रदान करने का प्रयास किया जाता है। इंजीनियर अथवा वास्तुविद् की कुशलता का यही मापदंड है। साधारणत: इसके कमरे औसत मकान से छोटे होते हैं और बरामदों आदि की व्यवस्था नहीं होती। बैठक तथा भोजन का स्थान एक ही कमरे में होता है। थोड़ी साजसज्जा से ही काम चल जाए, इस आशय से आलमारियाँ और अँगीठियाँ भी प्राय: दीवारों में बना दी जाती है।
कम व्यय के विचार से कुटिया के निर्माण में कुरसी तथा मकान की ऊँ चाई अपेक्षाकृत कम रखी जाती है। अधिकांश कुटियाँ एक मंजिल की ही होने से बहुधा छत भी ढालू, खपरैल, टीन की चादर अथवा स्लेट इत्यादि की बनाई जाती है।
कुटिया के निर्माण में यह ध्यान रखा जाता है कि कमरे छोटे और आरामदेह हों और उसका निवासी भीतर बैठे ही अधिक से अधिक प्राकृतिक दृश्य का अवलोकन कर सके।