कुत्ता

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०७:४७, १२ दिसम्बर २०१३ का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
कुत्ता
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 61
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक सुरेश सिंह कुँअर.;परमेश्वरीलाल गुप्त

कुत्ता स्तनधारियों की कैनिस (Canis) जाति का पशु। मनुष्य ने सर्वप्रथम इसे ही पालतू बनाया। उसने यह कार्य कब प्रारंभ किया, इसका ठीक पता नहीं लगता। किंतु यह निश्चित है कि ये जीव भेड़िए और सियार से विकसित किए गए हैं। पहले भेड़िया पालतू किया गया, फिर उससे और सियार से कुत्तों की जातियाँ निकलीं। पुरापाषाण युग (Paleolithic Era) के गुफाचित्रों में, जो लगभग ५० हजार वर्ष पूर्व के अनुमान किए जाते हैं, कुत्तों का चित्रण मिलता है। कतिपय गुफाओं के चित्र से पता चलता है कि यूरोप के नवस्तर युग (New Stone Age) के आदिमानव भेड़ियों जैसे कोई जंतु अपने साथ रखते थे, जो संभवत्‌: हमारे कुत्तों के पूर्वज रहे होंगे। इसी प्रकार कांस्य युग (Bronze Age) तथा लौह युग (Iron Age) में भी आदिवासियों के पास कुत्तों के होने का पता चलता है।

मिस्त्र के चार पाँच हजार वर्ष पूर्व के भित्तिचित्रों से कुत्तों की कई जातियों का परिचय मिलता है, जिनमें लंबी टाँगोंवाले ग्रे हाउंड (Grey Hound) और छोटी टाँगोंवाले टेरियर (Terrior) कुत्ते प्रमुख हैं। लगभग ६०० ईसा पूर्व असीरिया के लोग मैस्टिक (Mastiff) जाति के कुत्ते पालते थे। यूनान और रोम के प्राचीन साहित्य से पता चलता है कि लोग वहाँ भी कुत्ते पालने में किसी से पीछे नहीं थे। स्विट्जरलैंड और आयरलैंड के आदिवासी भी खेती करने से पहले कुत्ते पालते थे जिनसे वे शिकार और रखवालों में सहायता लेते थे तथा इनके मांस का भी सेवन करते थे।

भारत में कुत्ते ऋग्वेद काल से ही पाले जाते रहे हैं। ऋग्वेद में कुत्ते को मनुष्य का साथी कहा गया है। ऋग्वेद में एक कथा है कि इंद्र के पास सरमा नामक एक कुतिया थी। उसे इंद्र ने बृहस्पति की खोई हुई गायों को ढूँढ़ने के लिए भेजा था। उसमें श्याम और शबल नामक कुत्तों का उल्लेख है; उन्हें यमराज का रक्षक कहा गया है। महाभारत के अनुसार एक कुत्ता युधिष्ठिर के साथ स्वर्ग तक गया था। मुंहं-जो-दड़ो से प्राप्त मृत्भांडों पर कुत्तों के अनेक चित्र प्राप्त होते है। उनमें उनके उन दिनों पाले जाने का परिचय मिलता है।

कुत्ता कर्तव्यपरायण और स्वामिभक्त जानवर समझा जाता है। उसे आजकल लोग चौकीदारी करने की दृष्टि से पालते हैं। कुछ किस्म के कुत्ते शौकिया अथवा शिकार के लिये पाले जाते हैं। पुलिस विभाग अपराधियों को पकड़ने और चोरी का पता लगाने के लिए कुत्तों से सहायता लेती है। इस काम के योग्य बनाने के लिए वे विशेष रूप से प्रशिक्षित किए जाते हैं। भारतीय पुलिस भी अब अपने काम में कुत्तों की सहायता लेने लगी है। कुत्ते अन्य प्रकार से भी उपयोगी हैं। ध्रुव की यात्रा कभी सफल न हो पाती यदि एस्किमों और अलेस्कन कुत्ते बर्फ पर गाड़ी खींचकर उस क्षेत्र में भोजन न पहुँचाते। उपयोग को ध्यान में रखकर कुत्तों की छह श्रेणियाँ पशु विशेषज्ञों ने माना है। उनमें सभी प्रकार के कुत्ते आते हैं।

कुत्ते छोटे बड़े सभी प्रकार के होते हैं। इनकी सुनने और सूँघने की शक्ति बड़ी तीव्र होती है। ब्लड हाउंट (Bluood Hound) जाति के कुत्ते तो किसी का पदचिह्न ४८ घंटे बाद सूँघकर उसके पास पहुँच जाते हैं। कुत्तों की देखने की शक्ति मनुष्यों से दुर्बल होती है। वे केवल सफेद, काली और स्लेटी वस्तुएँ ही देख सकते हैं।

कुछ जाति के कुत्ते आज भी जंगलों में पाए जाते हैं। इनमें आस्ट्रेलिया का डिंगो और भारत के सोनहा और डोल प्रमुख हैं। अफ्रीका में भी कुछ जंगली कुत्ते पाए जाते हैं। इनका पालतू कुत्तों के साथ लैंगिक संबंध होते तो देखा गया है किंतु वे पालतू नहीं बनाए जा सकते।

टीका टिप्पणी और संदर्भ