कूमासी

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित १२:५३, ८ सितम्बर २०११ का अवतरण ('कूमासी घाना राज्य के अशांती प्रांत की राजधानी और व्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

कूमासी घाना राज्य के अशांती प्रांत की राजधानी और व्यापार का केंद्र (स्थिति-६० ५०’ उ. पू. तथा १३६० पू. दे.)। इस नगर का नाम कूम-आसे (Kum-ase) नामक वृक्षों के नाम पर पड़ा है जो यहाँ के प्रमुख मार्गों के दोनों ओर लगे हैं। सन्‌ १८७४ में अंग्रेजों के आक्रमण करने से पहले यह एक सुनियोजित नगर था। यहाँ का राजप्रासाद लाल बलुए पत्थरों का बना था जो आक्रमण के कारण नष्ट हो गया। १८९६ ई. में अंग्रेजों ने इस नगर पर पुन: आक्रमण किया तथा वहाँ के राजा प्रेमपेह को निर्वासित कर दिया। यह सन्‌ १९०१ में अंग्रेजी राज्य में मिला लिया गया था। १९५७ में घाना राज्य की स्थापना होने पर यह उसका अंग बन गया।

यह नगर गिनी की खाड़ी के तट पर स्थित तकोरदी एवं आक्रा नगरों से रेलमार्ग द्वारा जुड़ा है। इस नगर से १३० मील लंबी सड़क पामू को जाती है जो अशांती की पश्चिमी सीमा पर स्थित है। कूमासी के निकट दक्षिण में सोने की खान है जिसका विकास सन १८७९ ई. में किया गया था। २०वीं सदी के आरंभ में यातायात की सुविधा, कोको का व्यापार तथा खानों के विकास के कारण यह नगर अशांती राज्य का व्यापार केंद्र बन गया है। उत्तरी क्षेत्र के व्यापारी यहाँ भेड़, मक्खन तथा कच्चा चमड़ा पहुँचाते हें और नमक, वस्त्र मिट्टी का तेल और कोला (एक प्रकार की शराब) ले जाते हैं। यहाँ का परिवहन अधिकतर सीरियन व्यापारियों के हाथ में है। किगस्वे (Kingsway) इस नगर का महत्वपूर्ण मार्ग है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ