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कूम (Kuvam या Cooum) तमिलनाडु राज्य के चिंगलपुत जिले की नदी (१३०१’३०'-१३० ४’ १०' उ. अ., ७९० ४८’-८०० १०’ पू. दे.) जिसके तट पर मद्रास नगर स्थित है। यह नदी पुरानी बंगारू धारा तथा कूम ग्राम (कांचीपुरम्‌ तालुक, चिंगलपुत जिला) के एक सोवर के अतिरिक्त जल के संयोग से बनकर कादमपुत्तुर, तिन्नानुर, वयानल्लुर, अयानंबाक्कम्‌ तथा सैदापेट तालुक के अनेक ग्रामों को सींचती हुई अंतत: मद्रास नगर के मध्य से बहती हुई फोर्ट सेंट जार्ज के समीप बंगाल को खाड़ी में गिरती है। कोरात्तुर के निकट इसपर एक बाँध बाँधकर नई बंगारू धारा से चेंबरंबाकम सरोवर की जलपूर्ति की जाती है। नदी के अंतिम भाग के प्रवाह में, वर्षा ऋतु को छोड़कर, नियमित धारा नहीं रहती और मुहाने पर रेत जम जाने के कारण वह खारे लैगून झील में परिवर्तित हो जाती है।
 
कूम (Kuvam या Cooum) तमिलनाडु राज्य के चिंगलपुत जिले की नदी (१३०१’३०'-१३० ४’ १०' उ. अ., ७९० ४८’-८०० १०’ पू. दे.) जिसके तट पर मद्रास नगर स्थित है। यह नदी पुरानी बंगारू धारा तथा कूम ग्राम (कांचीपुरम्‌ तालुक, चिंगलपुत जिला) के एक सोवर के अतिरिक्त जल के संयोग से बनकर कादमपुत्तुर, तिन्नानुर, वयानल्लुर, अयानंबाक्कम्‌ तथा सैदापेट तालुक के अनेक ग्रामों को सींचती हुई अंतत: मद्रास नगर के मध्य से बहती हुई फोर्ट सेंट जार्ज के समीप बंगाल को खाड़ी में गिरती है। कोरात्तुर के निकट इसपर एक बाँध बाँधकर नई बंगारू धारा से चेंबरंबाकम सरोवर की जलपूर्ति की जाती है। नदी के अंतिम भाग के प्रवाह में, वर्षा ऋतु को छोड़कर, नियमित धारा नहीं रहती और मुहाने पर रेत जम जाने के कारण वह खारे लैगून झील में परिवर्तित हो जाती है।
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

१३:१३, ७ अप्रैल २०१४ का अवतरण

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कूम (Kuvam या Cooum) तमिलनाडु राज्य के चिंगलपुत जिले की नदी (१३०१’३०'-१३० ४’ १०' उ. अ., ७९० ४८’-८०० १०’ पू. दे.) जिसके तट पर मद्रास नगर स्थित है। यह नदी पुरानी बंगारू धारा तथा कूम ग्राम (कांचीपुरम्‌ तालुक, चिंगलपुत जिला) के एक सोवर के अतिरिक्त जल के संयोग से बनकर कादमपुत्तुर, तिन्नानुर, वयानल्लुर, अयानंबाक्कम्‌ तथा सैदापेट तालुक के अनेक ग्रामों को सींचती हुई अंतत: मद्रास नगर के मध्य से बहती हुई फोर्ट सेंट जार्ज के समीप बंगाल को खाड़ी में गिरती है। कोरात्तुर के निकट इसपर एक बाँध बाँधकर नई बंगारू धारा से चेंबरंबाकम सरोवर की जलपूर्ति की जाती है। नदी के अंतिम भाग के प्रवाह में, वर्षा ऋतु को छोड़कर, नियमित धारा नहीं रहती और मुहाने पर रेत जम जाने के कारण वह खारे लैगून झील में परिवर्तित हो जाती है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ