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गोकाक आधुनिक मैसूर राज्य के बेलगाँव जनपद में तालुके का प्रधान नगर है। यह दक्षिणी रेलमार्ग<ref>पहले का दक्षिण मराठा रेलमार्ग</ref>पर स्थित गोकाक स्टेशन से आठ मील दूर स्थित है और राजमार्ग द्वारा उससे जुड़ा हुआ है। पहले यहाँ कपड़ों की बुनाई तथा रँगाई का व्यवसाय बहुत उन्नत था जो बाद में अवनत हो गया। पुन: सरकारी प्रयत्नों से इन उद्योगों का विकास हो रहा है। हल्की लकड़ी तथा स्थानीय क्षेत्र में प्राप्य एक विशेष प्रकार की मिट्टी से निर्मित खिलौने तथा चित्रादि बनाने का व्यवसाय प्रसिद्ध है।
 
गोकाक आधुनिक मैसूर राज्य के बेलगाँव जनपद में तालुके का प्रधान नगर है। यह दक्षिणी रेलमार्ग<ref>पहले का दक्षिण मराठा रेलमार्ग</ref>पर स्थित गोकाक स्टेशन से आठ मील दूर स्थित है और राजमार्ग द्वारा उससे जुड़ा हुआ है। पहले यहाँ कपड़ों की बुनाई तथा रँगाई का व्यवसाय बहुत उन्नत था जो बाद में अवनत हो गया। पुन: सरकारी प्रयत्नों से इन उद्योगों का विकास हो रहा है। हल्की लकड़ी तथा स्थानीय क्षेत्र में प्राप्य एक विशेष प्रकार की मिट्टी से निर्मित खिलौने तथा चित्रादि बनाने का व्यवसाय प्रसिद्ध है।
गोकाक प्राचीन कस्बा है। इसका प्रथम उल्लेख 1०47 ई. के एक अनुलेख (Inscription) में 'गोकागे' (Gokage) नाम से प्राप्य है। संभवत: यह हिंदुओं का पवित्र स्थल रहा है जो गऊ (गो) से संबंधित है। 16८5 ई. में यह 'सरकार'<ref>मध्यकालीन जनपद</ref> का प्रधान केंद्र था। 1717-1754 काल में यह सबानूर के नवाबों के अधीन रहा जिन्होंने यहाँ मस्जिद तथा गंजीखाने का निर्माण कराया। पुन: यह हिंदुओं के अधीन हुआ। सन्‌ 1८36 में गोकाक तालुका तथा नगर अंगरेजों के अधीन हो गए।
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गोकाक प्राचीन कस्बा है। इसका प्रथम उल्लेख 1047 ई. के एक अनुलेख (Inscription) में 'गोकागे' (Gokage) नाम से प्राप्य है। संभवत: यह हिंदुओं का पवित्र स्थल रहा है जो गऊ (गो) से संबंधित है। 1685 ई. में यह 'सरकार'<ref>मध्यकालीन जनपद</ref> का प्रधान केंद्र था। 1717-1754 काल में यह सबानूर के नवाबों के अधीन रहा जिन्होंने यहाँ मस्जिद तथा गंजीखाने का निर्माण कराया। पुन: यह हिंदुओं के अधीन हुआ। सन्‌ 1836 में गोकाक तालुका तथा नगर अंगरेजों के अधीन हो गए।
  
गोकाक नगर से मील पश्चिमोत्तर तथा दक्षिण रेलमार्ग पर स्थित ध्रुपदल स्टेशन से तीन मील दूर स्थित गोकाक प्रपात है जहाँ घाटप्रभा नदी बलुआ पत्थर के शीर्ष से 17० फुट गहराई में गिरती है। प्रपात के बाद एक सुंदर खड्डमय घाटी (gorge) का निर्माण करती है। यहाँ प्रति वर्ष हजारों पर्यटक आते हैं। प्रपात के समीप ही नदी के दाएँ तट पर 1८८7 ई. में सूती कपड़े का कारखाना निर्मित हुआ। कारखाने को बिजली देने तथा आसपास के क्षेत्र में सिंचाई करने के लिये 'गोकाक जलाशय' का निर्माण हुआ। गोकाक नगरपालिका का क्षेत्र<ref>22.5 वर्ग मील</ref>प्रशासकीय सुविधा के लिये पाँच भागों में बँटा है।  
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गोकाक नगर से मील पश्चिमोत्तर तथा दक्षिण रेलमार्ग पर स्थित ध्रुपदल स्टेशन से तीन मील दूर स्थित गोकाक प्रपात है जहाँ घाटप्रभा नदी बलुआ पत्थर के शीर्ष से 170 फुट गहराई में गिरती है। प्रपात के बाद एक सुंदर खड्डमय घाटी (gorge) का निर्माण करती है। यहाँ प्रति वर्ष हजारों पर्यटक आते हैं। प्रपात के समीप ही नदी के दाएँ तट पर 1887 ई. में सूती कपड़े का कारखाना निर्मित हुआ। कारखाने को बिजली देने तथा आसपास के क्षेत्र में सिंचाई करने के लिये 'गोकाक जलाशय' का निर्माण हुआ। गोकाक नगरपालिका का क्षेत्र<ref>22.5 वर्ग मील</ref>प्रशासकीय सुविधा के लिये पाँच भागों में बँटा है।  
  
  

१३:३५, २१ दिसम्बर २०१३ के समय का अवतरण

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लेख सूचना
गोकाक
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4
पृष्ठ संख्या 14
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक फूलदेव सहाय वर्मा
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक काशी नाथ सिंह

गोकाक आधुनिक मैसूर राज्य के बेलगाँव जनपद में तालुके का प्रधान नगर है। यह दक्षिणी रेलमार्ग[१]पर स्थित गोकाक स्टेशन से आठ मील दूर स्थित है और राजमार्ग द्वारा उससे जुड़ा हुआ है। पहले यहाँ कपड़ों की बुनाई तथा रँगाई का व्यवसाय बहुत उन्नत था जो बाद में अवनत हो गया। पुन: सरकारी प्रयत्नों से इन उद्योगों का विकास हो रहा है। हल्की लकड़ी तथा स्थानीय क्षेत्र में प्राप्य एक विशेष प्रकार की मिट्टी से निर्मित खिलौने तथा चित्रादि बनाने का व्यवसाय प्रसिद्ध है। गोकाक प्राचीन कस्बा है। इसका प्रथम उल्लेख 1047 ई. के एक अनुलेख (Inscription) में 'गोकागे' (Gokage) नाम से प्राप्य है। संभवत: यह हिंदुओं का पवित्र स्थल रहा है जो गऊ (गो) से संबंधित है। 1685 ई. में यह 'सरकार'[२] का प्रधान केंद्र था। 1717-1754 काल में यह सबानूर के नवाबों के अधीन रहा जिन्होंने यहाँ मस्जिद तथा गंजीखाने का निर्माण कराया। पुन: यह हिंदुओं के अधीन हुआ। सन्‌ 1836 में गोकाक तालुका तथा नगर अंगरेजों के अधीन हो गए।

गोकाक नगर से मील पश्चिमोत्तर तथा दक्षिण रेलमार्ग पर स्थित ध्रुपदल स्टेशन से तीन मील दूर स्थित गोकाक प्रपात है जहाँ घाटप्रभा नदी बलुआ पत्थर के शीर्ष से 170 फुट गहराई में गिरती है। प्रपात के बाद एक सुंदर खड्डमय घाटी (gorge) का निर्माण करती है। यहाँ प्रति वर्ष हजारों पर्यटक आते हैं। प्रपात के समीप ही नदी के दाएँ तट पर 1887 ई. में सूती कपड़े का कारखाना निर्मित हुआ। कारखाने को बिजली देने तथा आसपास के क्षेत्र में सिंचाई करने के लिये 'गोकाक जलाशय' का निर्माण हुआ। गोकाक नगरपालिका का क्षेत्र[३]प्रशासकीय सुविधा के लिये पाँच भागों में बँटा है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पहले का दक्षिण मराठा रेलमार्ग
  2. मध्यकालीन जनपद
  3. 22.5 वर्ग मील