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जुर्जानी दो अरब विद्वानों का नाम।  
 
जुर्जानी दो अरब विद्वानों का नाम।  
#आबूबकर अब्दुल काहिर इव्न अब्दुर्रंहमान-उल-जुर्जानी, अरब वैयाकरणी। व्याकरण पर 'किताब-उल-अवामिल उल मिया' या 'किताब मियात-आमिल' एक प्रसिद्ध पुस्तक है, एर्पियस (लीडन, 1६1७), वेली (कलकत्ता, 1८०3) और ए. लाकेट (कलकत्ता 1८1४), द्वारा संपादित हुई है। 'किताब जुमल-फिन नाव' दूसरी कृति है, जिसपर बहुत समीक्षाएँ लिखी गई हैं।
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#आबूबकर अब्दुल काहिर इव्न अब्दुर्रंहमान-उल-जुर्जानी, अरब वैयाकरणी। व्याकरण पर 'किताब-उल-अवामिल उल मिया' या 'किताब मियात-आमिल' एक प्रसिद्ध पुस्तक है, एर्पियस (लीडन, 1६1७), वेली (कलकत्ता, 1८०3) और ए. लाकेट (कलकत्ता 1८14), द्वारा संपादित हुई है। 'किताब जुमल-फिन नाव' दूसरी कृति है, जिसपर बहुत समीक्षाएँ लिखी गई हैं।
#अली इब्न मोहम्मद उल जुर्जानी (133९-1४1५)--अरब विश्वकोशीय लेखक। अस्तराबाद के निकट उत्पन्न हुआ और शीराज़ में अध्यापक के रूप में रहा। तैमूर द्वारा शिराज़ पर आक्रमण (13८७) के संकट से यह समरकंद चला गया। 1४०५ में पुन: शारीज़ जाकर बस गया। उसकी 31 कृतियों में, जिनमें प्राय: दूसरों की रचनाओं की समीक्षाएँ संमिलित हैं, 'तारीफ़ात' (परिभाषाएँ) सर्वप्रसिद्ध है जिसका संपादन जीo फ्लूगल (लाइपज़िग 1८४५) ने किया और जो कांस्टेंटिनोपिल (1८3७), काहिरा (1८६६) और सेंट पीटर्सबर्ग (1८९७) में प्रकाशित हुई।  
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#अली इब्न मोहम्मद उल जुर्जानी (133९-141५)--अरब विश्वकोशीय लेखक। अस्तराबाद के निकट उत्पन्न हुआ और शीराज़ में अध्यापक के रूप में रहा। तैमूर द्वारा शिराज़ पर आक्रमण (13८७) के संकट से यह समरकंद चला गया। 14०५ में पुन: शारीज़ जाकर बस गया। उसकी 31 कृतियों में, जिनमें प्राय: दूसरों की रचनाओं की समीक्षाएँ संमिलित हैं, 'तारीफ़ात' (परिभाषाएँ) सर्वप्रसिद्ध है जिसका संपादन जीo फ्लूगल (लाइपज़िग 1८4५) ने किया और जो कांस्टेंटिनोपिल (1८3७), काहिरा (1८६६) और सेंट पीटर्सबर्ग (1८९७) में प्रकाशित हुई।  
 
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[[Category:हिन्दी_विश्वकोश]]
 
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०७:३३, १८ अगस्त २०११ का अवतरण

जुर्जानी दो अरब विद्वानों का नाम।

  1. आबूबकर अब्दुल काहिर इव्न अब्दुर्रंहमान-उल-जुर्जानी, अरब वैयाकरणी। व्याकरण पर 'किताब-उल-अवामिल उल मिया' या 'किताब मियात-आमिल' एक प्रसिद्ध पुस्तक है, एर्पियस (लीडन, 1६1७), वेली (कलकत्ता, 1८०3) और ए. लाकेट (कलकत्ता 1८14), द्वारा संपादित हुई है। 'किताब जुमल-फिन नाव' दूसरी कृति है, जिसपर बहुत समीक्षाएँ लिखी गई हैं।
  2. अली इब्न मोहम्मद उल जुर्जानी (133९-141५)--अरब विश्वकोशीय लेखक। अस्तराबाद के निकट उत्पन्न हुआ और शीराज़ में अध्यापक के रूप में रहा। तैमूर द्वारा शिराज़ पर आक्रमण (13८७) के संकट से यह समरकंद चला गया। 14०५ में पुन: शारीज़ जाकर बस गया। उसकी 31 कृतियों में, जिनमें प्राय: दूसरों की रचनाओं की समीक्षाएँ संमिलित हैं, 'तारीफ़ात' (परिभाषाएँ) सर्वप्रसिद्ध है जिसका संपादन जीo फ्लूगल (लाइपज़िग 1८4५) ने किया और जो कांस्टेंटिनोपिल (1८3७), काहिरा (1८६६) और सेंट पीटर्सबर्ग (1८९७) में प्रकाशित हुई।