"नज़ीर अहमद देहलवी" के अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
छो (नजीर अहमद का नाम बदलकर नजीर अहमद देहलवी कर दिया गया है)
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति १: पंक्ति १:
 +
{{भारतकोश पर बने लेख}}
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
 
नजीर अहमद का जन्म सन्‌ 1831 ईसवी में बिजनौर जिले के रेहड़ ग्राम में हुआ था। साधारण शिक्षा प्राप्त कर यह दिल्ली चले आए और यहीं के कालेज में पढ़े। क्रमश: यह अध्यापक से डिप्टी इंस्पेक्टर तथा इंस्पेक्टर हुए। सन्‌ 1861 ईसवी में इन्होंने इंडियन पीनल कोड का अनुवाद किया, जिससे यह तहसीलदार नियुक्त हुए और इसके अनंतर डिप्टी कलेक्टर हुए। कुछ समय के लिए यह हैदराबाद चले गए थे और कई उच्च पदों पर कार्य करने के अनंतर पेंशन लेकर यह दिल्ली लौट आए। यहीं यह अंत तक साहित्यसेवा करते रहे।
 
नजीर अहमद का जन्म सन्‌ 1831 ईसवी में बिजनौर जिले के रेहड़ ग्राम में हुआ था। साधारण शिक्षा प्राप्त कर यह दिल्ली चले आए और यहीं के कालेज में पढ़े। क्रमश: यह अध्यापक से डिप्टी इंस्पेक्टर तथा इंस्पेक्टर हुए। सन्‌ 1861 ईसवी में इन्होंने इंडियन पीनल कोड का अनुवाद किया, जिससे यह तहसीलदार नियुक्त हुए और इसके अनंतर डिप्टी कलेक्टर हुए। कुछ समय के लिए यह हैदराबाद चले गए थे और कई उच्च पदों पर कार्य करने के अनंतर पेंशन लेकर यह दिल्ली लौट आए। यहीं यह अंत तक साहित्यसेवा करते रहे।

११:५०, २९ जुलाई २०१५ के समय का अवतरण

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

जीवन परिचय

नजीर अहमद का जन्म सन्‌ 1831 ईसवी में बिजनौर जिले के रेहड़ ग्राम में हुआ था। साधारण शिक्षा प्राप्त कर यह दिल्ली चले आए और यहीं के कालेज में पढ़े। क्रमश: यह अध्यापक से डिप्टी इंस्पेक्टर तथा इंस्पेक्टर हुए। सन्‌ 1861 ईसवी में इन्होंने इंडियन पीनल कोड का अनुवाद किया, जिससे यह तहसीलदार नियुक्त हुए और इसके अनंतर डिप्टी कलेक्टर हुए। कुछ समय के लिए यह हैदराबाद चले गए थे और कई उच्च पदों पर कार्य करने के अनंतर पेंशन लेकर यह दिल्ली लौट आए। यहीं यह अंत तक साहित्यसेवा करते रहे।

मृत्यु

सन्‌ 1912 ईसवी में इनकी मृत्यु हुई।

साहित्यिक योगदान

यह इस्लाम धर्म तथा अरबी भाषा के विद्वान्‌ और उर्दू के सिद्धहस्त अनुवादक थे। इन्होंने इंडियन पीनल कोड के अतिरिक्त कानून की अन्य कई पुस्तकों का अनुवाद किया। कुरान के सुंदर अनुवाद के साथ कई धार्मिक पुस्तकें भी आपने लिखीं। उर्दू भाषा में उपन्यासलेखन के यह एक बड़े स्तंभ माने जाते हैं। स्त्रियोपयोगी कई उपन्यास भी इन्होंने स्वच्छ सुथरी भाषा में लिखे हैं जिनके नाम मेरातुल ऊरूस तथा बिन्नतुनआश हैं। इब्न्नुलवक्त, तौबतुन्नसूह, ख्यायसादिक आदि अन्य उपन्यास हैं। इन्हें शम्मुल उलेमा की पदवी मिली थी।


टीका टिप्पणी और संदर्भ