एस्पिरिन
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एस्पिरिन
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 289 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | मोहनलाल गुजराल |
ऐस्पिरिन का रासायनिक नाम ऐसिटाइल सैलिसिलिक ऐसिड है। यह प्रथम बार 1890 में बनाया गया। यह ज्वरनाशक तथा पीड़ानाशक है और चिकित्सा में मुख्यत: पीड़ोपचार में प्रयुक्त होता है। सिर दर्द, पैशिक तथा वातजन्य पीड़ा और जुकाम में यह उपयोगी है। कदावित् यह सबसे अधिक प्रयुक्त तथा निर्दोष पीड़ानाशक द्रव्य है। 0.6 ग्राम की एक मात्रा के बाद पीड़ा से आराम शीघ्र होता है तथा दो, तीन घंटे तक इसका प्रभाव रहता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ