अंबाला
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अंबाला
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 61 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | विभा मुखर्जी। |
अंबाला भारत के हरियाणा राज्य का एक जिला तथा उसके प्रधान नगर का नाम है। अंबाला जिला अक्षांश 29° 49 उ. से 31° 12 उ. तक तथा देशांतर 76° 22 पू. से 77° 36 पू. तक स्थित है। इसका क्षेत्रफल लगभग 3833 वर्ग कि. मी. है। इसके उत्तर-पूर्व में हिमालय, उत्तर में सतलज नदी, पश्चिम में पटियाला और लुधियाना जिले तथा दक्षिण में करनाल जिला और यमुना नदी है।
अंबाला नगर समुद्र तट से 1,040 फुट की ऊँचाई पर, एक खुले मैदान में, घग्घर नदी से तीन मील दूर, अक्षांश 30° 21 252 उ., देशांतर 76° 52 142 पू. पर, स्थित है। यह शहर लगभग 14वीं शताब्दी में अंबा राजपूतों द्वारा बसाया गया था। अंग्रेजी अधिकार के पहले इसका कोई विशेष महत्व नहीं था। 1823 में राजा गुरुवंशसिंह की पत्नी दयाकौर के देहांत के बाद यह नगर अंग्रेजों के कब्जे में आया तथा सतलुज के उस पार वाले राज्य का प्रबंध करने के लिए पोलिटिकल एजेंट की नियुक्ति हुई। सन् 1843 में नगर के दक्षिण की ओर सैनिक छावनी बनी और 1899 में, जब पंजाब अंग्रेज़ों के राज्य में सम्मिलित हो गया, यह जिले का केंद्रीय नगर बना।
आधुनिक अंबाला नए तथा पुराने दो भागों में बँटा है। पुराने भाग के रास्ते बहुत ही पतले, टेढ़े-मेढ़े और अंधकारमय हैं। नया भाग सैनिक छावनी का आसपास विकसित हुआ है। इसकी सड़कें चौड़ी तथा स्वच्छ हैं और मकान भी अच्छे ढंग से बने हैं।
व्यापार की दृष्टि से अंबाला की स्थिति महत्वपूर्ण है। इसके एक ओर यमुना और दूसरी ओर सतलुज बहती है। पंजाब के दिल्ली जाने वाले रेलमार्ग यहाँ से होकर जाते हैं और ग्रैंड ट्रंक रोड भी इस नगर से होकर जाती है। भारत सरकार की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला के पास होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है। शिमला पहाड़ यहाँ से 80 मील दूर है। पहाड़ी अंचल के लिए यह एक प्रधान व्यवसाय केंद्र है। इस जिले में उत्पन्न अनाजों के व्यवसाय के लिए यहाँ एक बड़ा बाजार है। यहाँ रुई, मसाले तथा इमारती लकड़ी का व्यवसाय होता है। उद्योगों में डेयरी उद्योग, आटा पीसना, खाद्य पदार्थ तैयार करना, वस्त्रों की सिलाई और लकड़ी तथा बाँस की वस्तुएँ बनाना उल्लेखनीय हैं। इनके अतिरिक्त काँच, वैज्ञानिक यंत्र तथा कलपुर्जे तैयार करने के कुछ कारखाने भी हैं। कालीन बनाना यहाँ का प्रधान उद्योग है और यह पर्याप्त मात्रा में बाहर भेजा जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ