अवस्ता समीकरण
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अवस्ता समीकरण
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 283 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री निरंकार सिंह |
अवस्था समीकरण का तात्पर्य उस गणितीय सूत्र से है जिसके द्वारा किसी समष्टि की अवस्था (स्टेट ऑव ऐग्रिगेशन) में किसी वस्तु के आयतन, दाब और ताप के संबंध का बोध हो। यदि इनमें से दो राशियाँ ज्ञात हों तो तीसरी उन दोनों पर निश्चित प्रकार से निर्भर होगी और उसका मान अवस्था समीकरण से मालूम किया जा सकता है। बायल और चार्ल्स के नियमों से
संबंध प्राप्त होता है, जो आदर्श गैस के लिए अवस्था समीकरण है। गैसें उच्च ताप और दाब की परिस्थतियों में इसका निकटता से पालन करती हैं किंतु सामान्य परिस्थितियों में यह समीकरण किसी भी वास्तविक गैस का व्यवहार यथार्थता से व्यक्त नहीं करता।
वास्तविक गैसें आदर्श गैस समीकरण से बहुत विचलित होती हैं, इसकी पुष्टि बाद में और अधिक दाब पर प्रयोग करके नाटेरर, सेंड्र्यूज़ और केइने ने की। ऐंड्र्यूज़ के प्रयोग मौलिक महत्व के हैं क्योंकि वे गैसों के वास्तविक व्यवहार पर बहुत प्रकाश डालते हैं और उस महत्वपूर्ण अवस्था समीकरण के आधार हैं जिसका प्रतिपादन वानडरवाल्स ने किया है। वानडरवाल्स का अवस्था समीकरण निम्न है
जिसमें a और b नियतांक हैं तथा p अनुभूत दाब है। यह समीकरण आदर्श गैस अवस्था से होनेवाले अधिकांश विचलनों का समाधान कर देता है।
अनेक अन्य अवस्था समीरण प्रतिपादित किए गए हैं। उनमें से कुछ विशिष्ट सीमाओं के बीच वानडरवाल्स समीकरण से अधिक सत्य हैं। फिर भी इस समीकरण की सरलता को देखते हुए, यह सामान्यत: वास्तविक गैसों के व्यवहार से पर्याप्त सन्निकट है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ