आइसलैंडिक

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लेख सूचना
आइसलैंडिक
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 336
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक डॉ. सतीशकुमार रोहण

आइसलैंडिक (भाषा) आइसलैंड में बोली जाने के कारण इस भाषा को आइसलैंडिक कहा जाता है। इस भाषा का संबंध जर्मन भाषा का प्राचीन मार्स अथवा प्राचीन स्कैंडेनेवियन भाषा से है।

ईसा की 8वीं शताब्दी के आस-पास प्राचीन स्कैंडेनेवियन भाषा की उत्तरी शाखा दो उपशाखाओं-पूर्वी उपशाखा एवं पश्चिमी उपशाखा-में विभाजित हो गई। इस पूर्वी उपशाखा से आइसलैंडिक एवं नार्वियन भाषाएँ विकसित हुई। आँरभ में आइसलैंडिक एवं नार्वियन भाषाओं में कोई भिन्नता नहीं थी। नवीं शताब्दी के आसपास नार्वे के निवासियों ने जाकर आइसलैंड को बसाया। प्राकृतिक परिस्थितियों के कारण आइसलैंड के निवासियों का नार्वे निवासियों से इतना दृढ़ संबंध नहीं रहा। फलस्वरूप आइसलैंड की भाषा स्वतंत्र रूप से विकसित हो गई।

साहित्यिक समृद्धि की दृष्टि से आइसलैंडिक भाषा का विशेष महत्व है। विशेषकर 12वीं से 14वीं शताब्दी तक का समय इस भाषा के साहित्य की उन्नति का काल है। उनके वीरकाव्यों (जिन्हें ऍद्द Edda कहा जाता है) का विश्वसाहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है।

इस भाषा पर लैटिन एवं अन्य जर्मन भाषाओं का पर्याप्त प्रभाव है।




टीका टिप्पणी और संदर्भ