आरियन

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
आरियन
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 423
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक श्री भगवतशरण उपाध्याय

आरियन (एरियन, पक्लावियस आरियानस), बिथीनिया में निकोमेदिया का ग्रीक निवासी। जन्म ल. 96 ई. में मृत्यु ल. 180 ई. में। इतिहासकार और दार्शनकि जो हाद्रियन, आंतोनियस पियस और मार्कस ओरिलियस नामक रोमन सम्राटों का समकालीन था। सम्राट् हाद्रियन उसका बड़ा आदर करता था और उसने उसे कप्पादोशिया का शासक बना दिया। इतना उच्च पद तब तक किसी ग्रीक को न मिला था। उसने अधिकतर लेखनकार्य शासन से अवकाश प्राप्त करने पर किया। वह एपिक्तेतस का शिष्य और मित्र रहा था। उसके दर्शन के संबंध में उसने अनेक विचारात्मक निबंध लिखे। पर अधिक विख्यात आरियन इतिहासकार के रूप में है। उसके ऐतिहासिक वृत्तांत पर्याप्त प्रामाणिक हैं। इतिहास तो उसने अनेक लिखे पर सिकंदर संबंधी सबसे अधिक विख्यात है। सिकंदर के राज्यारोहण से लेकर उसकी मृत्यु तक की सभी घटनाएं उसमें अंकित हैं जिन्हें उसने तोलेमी आदि सिंकदर के सेनापतियों की आंखों देखी घटनाओं के आधार पर लिखा। अत: यह वृत्तांत सिकंदर का समकालीन से प्रामाणिक हो जाता है। उससे सिकंदर की पंजाब विजय पर भी प्रभूत प्रकाश पड़ता है। आरियन ने भारत के संबंध में एक और ग्रंथ भी लिखा-'इंदिका', जिसमें सिकंदरकालीन भारतीय इतिहासादि के संबंध में सामग्री भरी पड़ी हे। भारत के पश्चिमी संसार के साथ सागरीय व्यापार संबंधी एक प्रसिद्ध ग्रंथ, 'इरि्थ्रायन सागर का पेरिप्लस', भी बहुत काल तक उसी का लिखा माना जाता था, परंतु अब प्राय: प्रमाणित हो गया है कि उस ग्रंथ को किसी और ने उसके बाद लिखा।



टीका टिप्पणी और संदर्भ