आवर्न
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आवर्न
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 455 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | डॉ. राधिकानाथ माथुर |
आवर्न पूर्वकाल में फ्रांस का एक प्रांत था, परंतु अब कैंटल, पुई-डी-डोम और हौट ल्वायर विभागों के अतंर्गत है। इसकी प्राचीन और वर्तमान राजधनियां क्रमश: क्लेरमांट और क्लेरमांट-फेरंड हैं। 'आवर्न' शब्द की उत्पत्ति आवर्नी से हुई है। आवर्नी रोमन काल में एक जातिसमुदाय था, जिसकी प्रभुता अक्वीटानिया के अधिकांश पर फैली हुई थी। इस समुदाय ने जूलिएस सीज़र के विरुद्ध युद्ध में भाग लिया था। आवर्न 1532 ई. में स्थायी रूप से फ्रांसीसी राजसत्ता के अधीन आ गया।
यहाँ स्थित पर्वत अधिकतर ज्वालामुखी हैं। महत्वपूर्ण पर्वतशिखर मांट डोर (ऊँचाई 6,188 फुट), प्लंब डी कैंटल (ऊँचाई 6,096) फुट और पुई-डी-डोम (ऊँचाई 4,806 फुट) हैं। यहां के सुप्त ज्वालामुखियों की संख्या लगभग 300 हैं। यहाँ विस्तृत चरागाह और औषधीय सोते (धाराएँ) भी हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ