इल

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लेख सूचना
इल
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 540
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक सद्गोपाल

इल वैवस्वत मनु श्रद्धा को संतान नहीं थी। उन्होंने मित्रावरुणों को प्रसन्न करने के लिए वसिष्ठ द्वारा पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराया। श्रद्धा चाहती थी कि उसे कन्या हो अत: यज्ञ की समाप्ति पर उसे कन्या ही हुई--नाम पड़ा इला। बाद में, मनु के अनुरोध पर, वरिष्ठ ने बालिका को पुत्र बनाया, तब इसका नाम इल पड़ा। वय प्राप्त होने पर यह परिवार सहित शिकार के लिए एक ऐसे वन में गया जो शंकर द्वारा शापित था, परिणामस्वरूप यह फिर स्त्री बन गया। इसी स्थिति में बुध के औरस से इसे पुरूरवस्‌ नाम का पुत्र हुआ। उत्कल, गय और विमल नाम के इसके तीन अन्य पुत्र थे। आगे चलकर वसिष्ठ की कृपा से यह एक मास स्त्री तथा एक मास पुरुष बनकर रहने लगा।



टीका टिप्पणी और संदर्भ