ओब
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ओब
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 300 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्रीनाथ मेहरोत्रा |
ओब, ओबी एशियाई रूस की एक नदी है जिसको यहाँ की विभिन्न जातियों ने कई नामों से अभिहित किया है–उदाहरणार्थ, ओस्तियाक इसे आस, याग, कोल्टा तथा येमा नामों से, सामोएड कोल्टा और क्वे नामों से तथा तातार ओमर एवं उमर नाम से जानते थे। यह 3200 मील लंबी है तथा इसका नदीक्षेत्र 10 लाख वर्गमील है। इसमें 1700 मील तक नौतरण किया जा सकता है। अल्टाई पर्वत से निकलकर यह नदी उत्तर के पहाड़ी प्रदेशों में से होकर खिरगीज़ स्टेप्स में बहकर आती है और ओब की खाड़ी में डेल्टा बनाती है। इसके मध्यवर्ती एक लाख वर्ग मील क्षेत्र में दलदल पाया जाता है। इस दलदली क्षेत्र का नाम वासुईगन दलदल है। ग्रीष्म काल में इस क्षेत्र में से गुजरना असंभव हो जाता है। वसंत ऋतु में यह क्षेत्र बाढ़ के कारण सागर का रूप ले लेता है और शरद् ऋतु में बर्फ से जम जाता है। इस काल में इसे आसानी से पार किया जा सकता है। ओब की सबसे बड़ी सहायक नदी ईर्तिश है जिसके संगम तक ओब में नौतरण किया जा सकता है। ओब नदी नवंबर से मई अथवा जून मास तक बर्फ से जमी रहती है। बाढ, बर्फ तथा तैरते हुए लट्ठों के कारण कुछ समय तक इसमें नौतरण करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह नदी यात्रियों, आटा, मक्का तथा इमारती लकड़ी के लाने ले जाने का सुगम मार्ग है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ