कैटलॉग

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
लेख सूचना
कैटलॉग
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 129
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक शंभुनाथ वाजपेयी

कैटलाग ऐसी सूची या नामावली जिसमें व्यक्तियों, वस्तुओं आदि की प्रविष्टियाँ (एंट्रीज़) साधारणत: विषयानुक्रम, अक्षरानुक्रम अथवा अन्य किसी ऐसे क्रम के अनुसार हो जिससे पाठक उनका उपयोग सुविधा और सरलतापूर्वक कर सकें। संग्रहालयों, पुस्तकालयों आदि के संग्रहों की सूची को मुख्यरूप से कैटलाग कहते हैं। उनके नियोजन और संयोजन के लिये अनेक पद्धतियाँ प्रचलित हैं उसने एक स्वतंत्र विज्ञान का रूप धारण कर लिया है।[१]

आजकल औद्योगिक और व्यावसायिक भी अपनी वस्तुओं के प्रसार और प्रचार के लिय कैटलाग का प्रयोग करते हैं। वह विज्ञापन का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया हैं। वांछित गति से और निश्चित मूल्य पर विभिन्न उत्पादन सामग्री का विक्रय करते रहना उद्योगों के सफल संचालन के लिये अनिवार्य है। एतदर्थ आकर्षक रूप में प्रस्तुत और ठीक ढंग से वितरित कैटलागों की विशेष महत्ता हैं।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विशेष विवरण के लिये द्रष्टव्य पुस्तकालय शीर्षक लेख।