कोच
कोच
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 154 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वरीलाल गुप्त |
कोच आसाम, बंगाल, बिहार और उड़ीसा में बसनेवाली एक प्राचीन जाति। ये लोग कामरूप, रंगपुर तथा पूर्णिया जिले में मुख्य रूप से बसे हुए है। इनके विकास के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। 16वीं शती में इन लोगों ने अपनी राजसत्ता कामरूप में स्थापित की थी और लगभग 200 वर्ष तक शासन करते रहे। पश्चात् उन्हें मुसलमान और अहोम राजाओं ने पराजित कर दिया और उनका अधिकार कूचबिहार तक सीमित हो गया।
नृतत्वविदों की धारणा है कि कोच लोग मंगोल रक्त के हैं। कुछ लोग उन्हें मूलत: अनार्य अनुमान करते हैं किंतु उत्तर बंगाल के कोच अपने को राजवंशी और क्षत्रिय मानते हैं। उनका कहना है कि वे उन क्षत्रियों के वंशज हैं जो परशुराम के भय से इस प्रदेश में भाग आए थे।
राजवंशी कोच रंग में काले हैं और उनकी नाम चपटी होती है। कुछ राजवंशी वैष्णवपंथी हैं और कुछ तंत्रमार्गावलंबी। वे लोग काली, मनसा, ग्रामी, तिस्तू, बुरी, हनुमान, बिदुर, तुलसी, ऋषि, किस्थ, बलिभद्र, ठाकुर, कोरा-कुरी आदि देवी-देवताओं की उपासना करते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ