क्यूशू

अद्‌भुत भारत की खोज
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लेख सूचना
क्यूशू
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 196
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक भूपेद्रकांत राय

क्यूशू जापान के चार प्रमुख द्वीपों में सबसे छोटा द्वीप।[१] इस द्वीप की रचना पेलियोज़ोइक और टर्शिएरी युग की चट्टानों से हुई है। इसका उत्तरी तथा दक्षिणी भाग नवनिर्मित्त ज्वालामुखी चट्टानों से बना है। यहाँ के पर्वत मोड़दार हैं जो उत्तरी भाग में अधिक ऊँचे हैं। नदियाँ छोटी और तीव्र वेगवाली हैं जिनसे जलविद्युत्‌ का विकास किया गया है।

आर्थिक दृष्टिकोण से संपूर्ण जापान में इस द्वीप का सर्वप्रथम स्थान है। जापान के 49 प्रतिशत कोयले का भंडार इसी द्वीप में संचित है। यहाँ कोयले का उत्पादन प्रति वर्ष प्राय: 2,90,00,000 टन होता है। औद्योगिक दृष्टिकोण से उत्तरी पश्चिमी भाग अधिक विकसित है। प्रधान केंद्र नागासाकी है। यहाँ लोहा और इस्पात, सीमेंट, शीशा, रासायनिक सामग्री, जहाज और बर्तन उद्योग प्रमुख है। इसी द्वीप में एशिया का सबसे बड़ा लोहा-इस्पात निर्माण केंद्र यवाता स्थित है जो जापान के संपूर्ण कच्चे लोहे और इस्पात का क्रमश:35 प्रतिशत तथा 40 प्रतिशत उत्पादन करता है। शिक्षा का यहाँ यथेष्ट विकास हुआ है। फुकुओका (Fukuoka) नगर में विश्वविद्यालय भी है जिसकी स्थापना 1910 में हुई थी।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. स्थिति : लगभग 31 से 34 उत्तरीय अक्षांश और 131 से 132 पूर्वी देशांत