खाकी
खाकी
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 309 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वरीलाल गुप्त |
'खाकी मटमैले रंग का विशेष प्रकार का कपड़ा जो मूलत: अंग्रेजी और भारतीय सैनिकों की वर्दी के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। इस शब्द की व्युत्पत्ति फारसी के खाक (मिट्टी) से है। इस वस्त्र का सर्वप्रथम प्रयोग 1848 में सीमांत सेना के लिए किया गया जो उन दिनों गाइड्स कहे जाते थे। उसके बाद समस्त सेना की वर्दी इसी कपड़े से बनने लगी। यह वस्त्र मूलत: किस प्रकार का बना था यह स्पष्ट ज्ञात नहीं है किंतु भारतीय विद्रोह के समय सैनिकों की खाकी वर्दी ड्रिल की बनी थी। उसके बाद रंग संबंधी बिना किसी विचार के यह शब्द ड्रिल कपड़े का पर्याय बन गया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ