गजट
गजट
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 351 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्याम तिवारी |
गजट संवादपत्र का पर्याय तथा समानार्थक एवं बहुप्रयुक्त प्राचीन शब्द। गजट सामयिक घटनाओं का सारसंग्रह होता है। यह आदि समाचारपत्र का एक भेद है जिसका नामकरण और प्रकाशन, वेनिस की सरकार द्वारा सन् १५६६ में गजट के रूप में हुआ। १६६५ में इंग्लैंड में आक्सफर्ड गज़ट प्रकाशित हुआ जो अगले वर्ष लंदन गज़ट हो गया। वह ब्रिटिश सरकार का राजकीय मुखपत्र है। स्थानीय तथा प्रादेशिक समाचारों के ऐसे प्रकाशन समाचारपत्रों की ही श्रेणी में आते हैं, जैसे पालमाल गज़ट, सेंट जेम्स गज़ट, वेस्टमिंस्टा गज़ट आदि जो आज भी अस्तित्व में हैं। भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में प्रारंभिक अखबारों के बीच यही नाम प्रचलित हुआ, जैसे बंगाल गज़ट (१७८०), हिकी गज़ट (१७८०), इंडियन गज़ट (१७८०), मद्रास गज़ट (१७९५) आदि। इस प्रकार गज़ट प्रांतीय अखबारों का सूचक पद रहा है। भारतीय समाचारपत्र के लिए गज़ट शब्द का प्रयोग २०वीं शताब्दी के आरंभ तक बहुतायत से मिलता है किंतु अब यह नाम अप्रचलित है। सिविल मिलिटरी गज़ट, मसूरी गज़ट आदि इने गिने अंग्रेजी पत्र इसके अपवाद हैं। इसके विपरीत गज़ट ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल से ही विधिप्रारूपों, विभागीय सूचनाओं और विज्ञप्तियों के शासकीय प्रकाशनों के लिए प्रयुक्त होता आया है, जैसे उत्तरप्रद्रेश गज़ट, बिहार गज़ट आदि। इस दृष्टि से किसी प्रकार की स्वतंत्र अथवा वैयक्तिक सूचनाओं और राजपत्रों के लिए यह नाम रूढ़ है और अपनी इन विशेषताओं के कारण गज़ट आधुनिक समचारपत्र से भिन्न हो जाता है। इसे हम सरकारी और प्रशासकीय सूचनाओं तथा कार्यों का विवरणपत्र कह सकते हैं।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विशेष द्र. समाचारपत्र