ग्वॉंगसी
ग्वॉंगसी
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 93 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | रामप्रसाद त्रिपाठी |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | काशी नाथ सिंह |
ग्वाँगसी (Kwangsi) दक्षिण चीन का एक प्रांत, क्षेत्रफल 84,526 वर्ग मील; अनुमानित जनसंख्या 1,48,61,000 (1947) है। इसके उत्तर तथा उत्तर-पूर्व में हुनान और ग्वेजो, दक्षिण में ग्वाँगदुंग तथा उत्तरी वियतनाम के क्षेत्र, पूर्व में ग्वाँगदुंग और पश्चिम में युन्नान तथा ग्वेजो प्रांत के भाग हैं। अधिकांश क्षेत्र शी नदी की ऊपरी घाटी में पड़ता है और पर्वतीय है। शी तथा उसकी सहायक नदियों, सियांग (यू), हुंगसूह, और ग्वे आदि द्वारा अपक्षरण होने के कारण अधिकांश धरातल ऊँचा नीचा हो गया है। इन्हीं नदी घाटियों से प्रमुख व्यापारिक मार्ग गुजरते हैं। शी द्वारा यून्नान, लिउ द्वारा पूर्वी ग्वेजो, ग्वे द्वारा हुनान तथा सो (Tso) द्वारा वियतनाम जुड़े हुए हैं। अत: नदी घाटियों के प्रमुख संगमस्थलों पर प्रसिद्ध नगर तथा कस्बे बसे हुए हैं। ग्वेलिन, जो पहले प्रांतीय राजधानी था, ग्वे नदीमार्ग पर, नानिंग (युन्निंग), जो संप्रति प्रांतीय राजधानी है, सियांग के यून्नान जानेवाले मार्ग पर तथा विंचाड, जो प्रांत का सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यापारिक नगर है, शी नदी पर स्थित हैं। चूना पत्थर से निर्मित क्षेत्र में अपक्षरणचक्र लगभग पूर्ण हो गया है और अवतरण रध्रं (Sink holes) मिलकर धंसे हुए मैदान के रूप में हो गए हैं।
जलवायु उष्णकटिबंधीय है। मुख्य फसल तथा खाद्यान्न चावल है, जिसका अधिकांश नदी घाटियों तथा कुछ ढालों पर सीढ़ीनुमा क्यारियों में उगाया जाता है। जनसंख्या कम घनी होने के कारण चावल यहाँ से निर्यात होता है। मकई, गन्ना, चाय तथा कपास अन्य मुख्य फसलें है। यहाँ भी बहुत सा वन्य भाग कट गया है इसलिये मिट्टी का कटाव एक समस्या हो गई है। ऊपरी भागों में सुरक्षित वनों से लकड़ियों के अतिरिक्त तेजपात, दालचीनी, काठतेल आदि प्राप्त होते हैं। रेशम तथा सूती कपड़ों के उद्योग यहाँ प्रमुख हैं।
अधिक पर्वतीय तथा कटा छँटा होने के कारण यहाँ जनसंख्या का धनत्व कम (170 मनुष्य प्रति वर्ग मील) है। यह अपेक्षाकृत अविकसित प्रांत है। इसका अभी तक पूर्णतया चीनीकरण भी नही हो पाया है। यहाँ की 40 प्रति शत जनसंख्या विशुद्ध चीनी है तथा शेष में विभिन्न आदिम जातियाँ हैं, जिनमें याव, म्याव, चुंग, तथा मिश्रित थाई एवं रक्तवर्ण चीनी सम्मिलित हैं। ये जातियाँ चीनियों के आने के कारण पर्वतीय भागों में चली गई हैं। ये पहले अपने अपने मुखियों द्वारा शासित होती थीं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ