मरिया गीताना ऐन्येसी
मरिया गीताना ऐन्येसी
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 278 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्यामसुंदर शर्मा |
ऐन्येसी, मरिया गीताना (Agnesi Maria Gaetana) (1718-1799), इटली की गणितज्ञ, भाषाविद् और दार्शनिक, गणित के प्रोफ़ेसर की लड़की थी। इसका जन्म 16 मई, 1718, को मिलान (इटली) में हुआ। वह 14 वर्ष की आयु में ही दार्शनिक विषयों पर नवीन विचार विद्वानों के संमुख उपस्थित किया करती थी। वह आरंभ से भिक्षुणी (नन) हो जाना चाहती थी, परंतु अन्य संबंधियों ने उसे रोक रखा। 20 वर्ष की आयु होने पर वह दुनिया से अलग होकर अपने घर में एकांतवास करके, अपना सारा समय गणित के अध्ययन में लगाने लगी।
चलन कलन में एक वक्र ऐन्येसी की लुब्ध्काि (विच ऑव ऐन्येसी) कहलाता है। कहा जाता है, ऐन्येसी (फ्ऱेंच उच्चारण आन्येसी) एक समीकरण पर विचार करते करते सो गई। रात्रि में, निद्रावस्था में ही, उसने कागज पर, स्वच्छतापूर्वक इस समीकरण के निरूपित वक्र को अंकित कर लिया। प्रात: काल उठने पर उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उसने देखा कि कागज पर ठीक हल पहले से ही लिखा रखा है। 1752 ई में, 14वें पोप बेनेडिक्ट ने मिलान के विश्वविद्यालय में अपने स्थान पर ऐन्येसी की नियुक्ति कर दी। पिता के देहांत के बाद वह मिलान के ही एक संघ में संमिलित होकर भिक्षुणी हो गई। उसका निधन 1799 में हुआ।
उसका लिखा प्रधान ग्रंथ इंस्तितुत्सी अनालितिके अद उज़ो देला गिओवेंतू इतालियाना (Institu ioni analitiche uso dlla gioventu itlaliana) हैं, जो मिलान में 1748 में दो जिल्दों में छपा। इसका अंग्रेजी अनुवाद 1801 में छपा (अनुवादक जॉन कॉलसन)।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्रं.–एंटोनियो फ्ऱान्सेस्को फ्ऱसी (Antonio Fransesco Frisi), ईलोग इस्तोरीक द मादम्वाज़ेल आन्येसी (Eloge historiqude Mademoiselle Agnesi) (1807)।