महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 192 श्लोक 63-70

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द्विनवत्यधिकशततम (192) अध्‍याय: उद्योग पर्व (अम्बोपाख्‍यान पर्व)

महाभारत: उद्योग पर्व: द्विनवत्यधिकशततम अध्याय: श्लोक 63-70 का हिन्दी अनुवाद


महाराज! कुरूश्रेष्‍ठ! इस प्रकार यह रथियों में उत्तम द्रुपदकुमार शिखण्‍डी पहले स्त्रीरूप में उत्पन्न होकर पीछे पुरूष हुआ था । भरतश्रेष्‍ठ! काशिराज की ज्येष्‍ठ कन्या, जो अम्बा नाम से विख्‍यात थी, वही द्रुपद के कुल में शिखण्‍डी के रूप में उत्पन्न हुई हैं ।जब यह हाथ में धनुष लेकर युद्ध करने की इच्छा से मेरे सामने उपस्थित होगा, उस समय मुहूर्तभर भी न तो इसकी ओर देखूंगा और न इस पर प्रहार ही करूंगा । कौरवनन्दन! इस भूमण्‍डल में भी मेरा यह व्रत प्रसिद्ध है कि जो स्त्री हो, जो पहले स्त्री रहकर पुरूष हुआ हो, जिसका नाम स्त्री के समान हो तथा जिसका रूप एवं वेष-भूषा स्त्रियों के समान हो, इन सब पर मैं बाण नहीं छोड़ सकता । तात! इसी कारण से मैं शिखण्‍डी को नहीं मार सकता। शिखण्‍डी के जन्म का वास्तविक वृत्तान्त मैं जानता हूं। अत: समरभूमि में वह आततायी होकर आवे तो भी मैं इसे नहीं मारूंगा । यदि भीष्‍म स्त्री का वध करे तो साधु पुरूष इसकी निन्दा करेंगे, अत: शिखण्‍डी समरभूमि में खड़ा देखकर भी मैं इसे नही मारूंगा । वैशम्पायनजी कहते हैं- जनमेजय! यह सब सुनकर कुरूवंशी राजा द्रुर्योधन ने दो घड़ी तक कुछ सोच-विचारकर भीष्‍म के लिये शिखण्‍डी का वध न करना उचित ही मान लिया ।

इस प्रकार श्रीमहाभारत उद्योगपर्व के अन्तर्गत अम्बोपाख्‍यानपर्व में शिखण्‍डी को पुरूषत्व की प्राप्तिविषयक एक सौ बानबेवां अध्‍याय पूरा हुआ ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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