महाभारत वन पर्व अध्याय 304 श्लोक 18-20

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चतुरधिकत्रिशततम (304) अध्याय: वन पर्व (कुण्डलाहरणपर्व)

महाभारत: वन पर्व: चतुरधिकत्रिशततमोऽध्यायः 18-20 श्लोक का हिन्दी अनुवाद


वहाँ अग्निहोत्रगृह में उनके लिये चमचमाते हुए सुन्दर आसन की व्यवस्था हो गयी। भोजन आदि की सब सामग्री भी राजा ने वहीं प्रस्तुत कर दी। राजकुमारी कुन्ती आलस्य और अभिमान को दूर भगाकर ब्राह्मण की आराधना में बड़े यत्न से संलग्न हो गयी। बाहर-भीतर शुद्ध हो सती-साध्वी पृथा उप पूजनीय ब्राह्मण के पास जाकर देवता की भाँति उनकी विधिवत् आराणना करके उन्हें पूर्णरूप से संतुष्ट रखने लगी।

इस प्रकार श्रीमहाभारत वनपर्व के अनतर्गत कुण्डलाहरणपर्व में कुन्ती के द्वारा ब्राह्मण की परिचर्या विषयक तीन सौ चारवाँ अध्याय पूरा हुआ ।









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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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