महाभारत शान्ति पर्व अध्याय 306 श्लोक 47-50
षडधिकत्रिशततम (306) अध्याय: शान्ति पर्व (मोक्षधर्म पर्व)
महाभारत: शान्ति पर्व: षडधिकत्रिशततम अध्याय: श्लोक 47-50 का हिन्दी अनुवाद
शत्रुदमन नरेश ! जिनकी बुद्धि नानात्व का दर्शन करती है, उन्हें सम्यक्-ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती। ऐसे लोगों को बारंबार शरीर धारण करना पड़ता है ।जो इस सारे प्रपंच को ही जानते हैं, वे इससे भिन्न परमात्माका तत्व न जानने के कारण निश्चय ही शरीरधारी होंगे और शरीर तथा काम-क्रोध आदि दोषोंके वशवर्ती बने रहेंगे ।‘सर्व’ नाम है अव्यक्त प्रकृतिका और उससे भिन्न पचीसवें तत्व परमात्माको असर्व कहा गया है। जो उन्हें इस प्रकार जानते हैं, उन्हें आवागमन का भय नहीं होता है ।
इस प्रकार श्री महाभारत शान्तिपर्व के अन्तर्गत मोक्षधर्मपर्व में सांख्यतत्व का वर्णनविषयक तीन सो छठ्वाँ अध्याय पूरा हुआ ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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